Ram Leela Manchan/भैंसदेही (मनीष राठौर) :- भैसदेही रामलीला मंचन के चौथे दिन वन गमन के लिए आज्ञा लेने माता कौशल्या के पास श्रीराम जाते है जहां सीता एवं लक्ष्मण भी वन जाने की जिद श्रीराम से करते है लाख मना करने पर भी कोई नहीं मानता इसलिए श्रीराम को लक्ष्मण एवं सीता को वन अपने साथ चलने के लिए कहना पड़ता है। माता कौशल्या राम लक्ष्मण सीता को बहुत ही उदास मन से आज्ञा देती है। माता से विदाई का दृश्य देख जनता भाव विभोर हो गई। उसके बाद राजा दशरथ राम लक्ष्मण सीता को बड़े दुखी मन से वन को जाने देते है यह कहते हुए कि रोको जरा मेरा राम जा रहा है। और हा राम हा राम कहते कहते बदहवास होकर गिर जाते है l
—: राम मिले वन में निषाद राज से :—
वन में राम निषाद राज से मिलते है श्रीराम को इस हाल में देखकर निषाद को बहुत दुख होता है। निषाद मन से भगवान श्रीराम का स्वागत करते है।वन में ही निषाद राज श्रीराम के लिए कुटिया का निर्माण करते है जहां श्रीराम रात्रि विश्राम करते है। सुबह उठते ही श्रीराम गंगा पार जाने के लिए गंगा तट पर जाते है निषाद राज भगवान श्रीराम की सेवा कर बड़ा खुश था।
शिक्षा के मैदान में नन्हें कदम, 25 और 26 सितम्बर को हुआ FLN सर्वे का आयोजन
—: केवट ने श्रीराम के पैर पखारकर अपने कुल का किया उद्धार :—
श्रीराम गंगा तट पर पहुंचकर केवट से गंगा पार चलने के लिए कहते है। जिसे केवट मना कर देता है श्रीराम द्वारा केवट को बहुत समझाने के बाद भी केवट तैयार नहीं होता। केवट कहता है कि प्रभु मेरी एक शर्त है यदि आप अपने पैर मुझे पखारने दे तो मैं आपको गंगा पार ले चल सकता हु। श्रीराम केवट की शर्त मान लेते है और केवट को पैर पखारने देते है केवट श्रीराम के पैर पखार कर अपने कुल का उद्धार करते है। तथा केवट श्रीराम को गंगा पार ले जाते है जहा प्रभु श्रीराम केवट को गंगा पार लगाने की मेहनत देते है जिसे केवट लेने से मना कर देता है। इसे कहते है भक्ति की पराकाष्ठा जगत के पालन हार को केवट ने गंगा पार कराई। कौशल्या के अभिनय में सुरेश चौहान माता का बहुत ही ममता भरा अभिनय निषाद के अभिनय में आकाश राठौर केवट के सुंदर अभिनय की प्रस्तुति शंकर राय के द्वारा दी गई। सखा सुमंत का अभिनय मारोती मोहरे के द्वारा किया गया। रामलीला देखने दर्शकों की भीड़ उमड़ रही है।