SINDHU JAL SAMJHAUTA:- पहलगाम में हुए बड़े आतंकी हमले के बाद भारतीय सरकार ने पाकिस्तान पर कई कड़े प्रहार किए हैं। जिसमें से सबसे बड़ा प्रहार सिंधु जल संधि को रोकने का फैसला है। भारत के इस फैसले को पाकिस्तान पर बहुत असर पड़ने वाला है, क्योंकि इस संधि से पाकिस्तान को काफी फायदा होता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया है। भारतीय सरकार ने डिप्लोमैटिक स्ट्राइक करते हुए सिंधु समझौते को रोक दिया है। जिसके बाद पाकिस्तान को अब पानी को लेकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दोनों देशों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। 19 सितंबर 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत छह नदियों ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी के इस्तेमाल के नियम तय किए गए थे।
पाकिस्तान को तीन नदियों का पानी मिलता था
इस समझौते के तहत पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु का 80 प्रतिशत पानी मिलता है। जबकि भारत को सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का 80 प्रतिशत पानी मिलता है।
कई बार उठी समझौता खत्म होने की मांग
आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान में कई युद्ध हुए हैं। लेकिन, कभी ये समझौता खत्म नहीं किया गया। इस समझौते के अनुसार कोई भी देश एकतरफा इस संधि को तोड़ नहीं सकता और न ही नियमों में बदलाव कर सकता है। भारत और पाकिस्तान को मिलकर इस संधि में बदलाव करना होगा और नया समझौता करना होगा। लगातार आतंकी साजिशों के बाद भी भारत ने इस समझौते को कायम रखा है। लेकिन, पहलगाम हमले के बाद भारतीय सरकार ने ये बड़ा कदम उठा दिया है।
समझौता तोड़ने के बाद अब क्या होगा?
विश्व बैंक की लंबी मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इस संधि के लागू होने से पहले 1 अप्रैल 1948 को भारत ने दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया था, जिससे पाकिस्तानी पंजाब की 17 लाख एकड़ जमीन पानी के लिए प्यासी हो गई थी। ऐसे में आज की समझ से भारत ने इन नदियों का पानी रोक दिया है, जिससे पाकिस्तान में हाहाकार मच जाएगा। हालांकि, पाकिस्तान के पास भारत के इस फैसले के खिलाफ विश्व बैंक में अपील करने का अधिकार होगा।
सिंधु जल संधि के प्रावधान
- पश्चिमी पंजाब की ओर बहने वाली नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया.
- पूर्वी पंजाब की नदियों रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का नियंत्रण है.
- भारत अपने हिस्से की नदियों का पानी बिना किसी रुकावट के इस्तेमाल कर सकता है.
- भारत को पश्चिमी पंजाब की नदियों के जल के सीमित इस्तेमाल का भी कुछ अधिकार है.
- सिंधु जल संधि के तहत दोनों देशों के बीच समझौते को लेकर बातचीत कर सकते हैं और साइट का मुआयना भी कर सकते हैं
- समझौते के तहत सिंधु आयोग भी स्थापित किया गया और दोनों देशों के कमिश्नर मिलने का प्रावधान है.
- दोनों देशों के आयोग कमिश्नर किसी भी विवादित मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं.
- संधि के मुताबिक, अगर कोई पक्ष किसी परियोजना पर काम करता है और दूसरे पक्ष को उसे लेकर कोई आपत्ति है तो पहला पक्ष उसका जवाब देगा और इस मुद्दे पर दोनों पक्षों की बैठकें होंगी.
- अगर बैठकों में कोई हल नहीं निकलता है तो दोनों देशों की सरकारें मिलकर मुद्दे का समाधान निकालेंगी.
- किसी भी विवादित मुद्दे पर दोनों पक्ष कोर्ट ऑफ ऑर्बिट्रेशन में भी जा सकते हैं या तटस्थ विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं.
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पानी रोकने से होने वाले तत्काल प्रभाव
- खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है
- लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है
- शहरी जल आपूर्ति बाधित हो सकती है.
- शहरों में जल संकट हो सकता है
- बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा, जिसका उद्योगों पर असर पड़ेगा
- ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और पलायन बढ़ सकता है