Success Story :- बैतूल का युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों रुपए का पैकेज छोड़कर खेती किसानी करने लगा। ये हैं बैतूल जिले के विजय पवार।
पवार मुलताई के ग्राम दुनावा के रहने वाले हैं। उन्होंने 7 एकड़ में देसी-विदेशी आम के पेड़ लगाए हैं। इस बगीचे से हर साल करीब 10 से 12 लाख रुपए का आमदनी हो रही है। पवार का कहना है कि परंपरागत खेती से हटकर अगर इस तरह की खेती की जाए, तो नुकसान की आशंका कम रहती है। मुनाफा भी अच्छा होता है।
विजय पवार से जानते हैं कि कैसे हो रही लाखों में इनकम (Success Story)
मैं 2013 तक पुणे में मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर सॉफ्टवेयर डेवलपर काम कर रहा था। यहां सालाना पैकेज 7 लाख रुपए था। काम भी ठीक चल रहा था। फिर एक दिन घर से फोन आया कि पिताजी का तबीयत खराब हो गई। जल्दी आ जाओ। मैं अगले दिन ही गांव आ गया। अस्पताल में इलाज के बाद पापा की तबीयत में सुधार होने लगा। मैं भी पिता का देखभाल कर रहा था। इस दौरान देखा कि पारंपरिक खेती चल रही है। इसमें उतनी कमाई नहीं होती। मौसम की भी मार पड़ती रहती है। सोचने लगा कि कैसे यहां रहकर पिता के सेवा के साथ ही कुछ नया किया जाए।
फिर दिमाग में आधुनिक तरीके से खेती-किसानी करने का आइडिया आया। इसके बाद करीब 6 महीने तक आम की फार्मिंग, इसके बाजार और मार्केटिंग पर रिसर्च किया। कई कृषि विशेषज्ञों, किसानों से राय ली। इसके बाद आम की खेती शुरू की।
मैंने 7 एकड़ में 30 वैरायटी के आम के करीब 1200 पौधे लगाए। इसमें हापुस, लंगड़ा, चौसा, दशहरी, केसर, तोता परी के पेड़ ज्यादा हैं। विदेशी वैरायटी में सन ऑफ एग, किंग ऑफ मैंगो भी है। पहले पेड़ों के बीच-बीच में बची जगह में खेती करते थे। अब पेड़ बड़े हो गए हैं, तो ट्रैक्टर घुमाने में दिक्कत होती है, इसलिए नहीं कर रहे हैं। ये बगीचा 8 साल में तैयार किया है।
पुणे से लौटने से पहले पिता जी भी सभी किसानों के तरह ही परंपरागत तरीके से ही खेती करते थे। 17 एकड़ खेत से सालाना दो से ढाई लाख रुपए आमदनी हो रही थी। इसमें साल दर साल लागत भी बढ़ती जा रही थी।
पहले खुद ही आम बेचता था। इससे दूसरे कामों पर ध्यान नहीं दे पा रहा था, इसलिए अब बगीचे को ठेके पर देना शुरू दिया है। हर साल ऑक्शन होता है, जो ऊंचे दामों पर ठेके पर लेता है, उसे आम बेचने का अधिकार होता है। साथ ही, मेंटेनेंस का जिम्मा भी ठेकेदार का होता है। इससे सीधा 10 से 12 लाख का मुनाफा हो जाता है। इतनी कमाई मैं अपने घर-गांव से दूर रहकर भी नहीं कर पा रहा था। यहां खेती-किसानी से मुझे एक अलग प्रकार सुकून भी मिलता है।
अब जानते हैं, आप कैसे कर सकते हैं आम की फार्मिंग (Success Story)
खेत में सबसे पहले 10 फीट की बराबर दूरी पर गड्ढे खोद लें। इसमें कुछ गोबर खाद मिलाकर मिट्टी डाल लें। कुछ दिन तक गड्ढों को ऐसे ही छोड़ दें। 8 से 10 दिन बाद इनमें पौधे लगाते हैं। जून-जुलाई से सितंबर तक प्लांटेशन कर देना चाहिए। इसके लिए पानी पर्याप्त होना चाहिए। अलग-अलग वैरायटी में एक पौधे तैयार होने में 3 से 7 साल लगता है।
मानसून शुरू होने से पहले पौधों में दें खाद (Success Story)
आम की फसल का उत्पादन तो वैसे सभी तरह की भूमि में किया जा सकता है, लेकिन अच्छी जल धारण क्षमता वाली गहरी, बलुई दोमट सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भूमि का पीएच मान 5.5-7.5 तक इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। अल्फांसो के लिए खास तरह की जमीन और जलवायु की जरूरत होती है। एक साल पुराने पेड़ को मानसून शुरू होने से पहले कम्पोस्ट खाद, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश देना चाहिए।
पौधों की देखरेख भी जरूरी (Success Story)
अच्छे उत्पादन के लिए पौधों की देख भाल करना जरूरी है। शुरुआती तीन चार साल तक तो ध्यान देने की जरूरत है। सर्दी में पाले से बचाने के लिए और गर्मी में लू से बचाने के लिए सिंचाई का प्रबंधन करना चाहिए। जमीन से 80 सेमी तक की शाखाओं को निकाल देना चाहिए।
पौधों को कीट और रोग से ऐसे बचाते हैं (Success Story)
कुछ कीट फलों के पत्तों, पंखुड़ियों और डंठल से रस को अवशोषित करते हैं। इससे पत्तियां मुरझा जाती हैं। फूल झड़ जाते हैं। साथ ही, छोटे-छोटे फल भी झड़ जाते हैं। शाखाओं को इस तरह से पतला किया जाना चाहिए कि कीट नियंत्रण के लिए बगीचे में पर्याप्त धूप हो। समय-समय पर बगीचे का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। डिमेथोएट 30 ईसी या मैनिट्रोथियन कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए।
इनके रेस्टोरेंट में बनी दूध की मिठाइयां भी फेमस (Success Story)
आम की खेती के साथ ही विजय पवार रेस्टोरेंट भी चलाते हैं, जहां दूध से बनी मिठाइयां फेमस हैं। इसके लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां कि मिठाई की खासियत है कि इसमें शक्कर की मात्रा कम होती है। ये ताजे दूध को पकाकर बनाई जाती है। अच्छी क्वालिटी होने की वजह से लोग मिठाइयां पैक करवाकर ले जाते हैं।