शहर में स्मारकों की चमक हो गई फीकी, सौंदर्यीकरण के लिए नहीं बनाई योजना

By sourabh deshmukh

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शहीद स्मारक अनदेखी का शिकार, साफ सफाई तक नही होती

BETUL NEWS TODAY / आमला :- ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा’ शहीदों की शान में कहीं जाने वाली यह लाइनें शहर में पूरी तरह से बेमानी साबित हो रही है। हाल यह है नगरपालिका ने शहीद स्मारक की देखरेख का इंतजाम तक नहीं किया है। जिस कारण लोगों में नाराजगी है। दरअसल शहर में इतवारी चौक, नेहरू पार्क और भीमनगर में शहीद स्मारक है, जिनकी याद जनप्रतिनिधियों, नेताओं और नगरपालिका के अधिकारी, कर्मचारियों को कुछ गिने चुने मौकों पर ही आती है या तो इनकी याद जयंती पर या पुण्यतिथि पर लोगों द्वारा इनके समक्ष खड़े होकर भाषण देकर मुंह फेर लिया जाता है। सबसे खास यह है कि कुछ विशेष अवसरों पर ही साफ सफाई और रंग रोशन का कार्य किया जाता है। बाकी समय इनकी सुध तक नहीं ली जाती है। काशीनाथ सूर्यवंशी, महेश वरदाहे, संजय शेषकर, सचिन नागले निवासी भीम नगर ने बताया कि स्मारकों के पास साफ सफाई तक नहीं हो रही है। लोगों का कहना है कि शहीद स्मारक के सौंदर्यीकरण और रखरखाव का कई बार आश्वासन मिला, लेकिन कार्य कुछ नहीं हुआ। जिससे आमजनता में नगरपालिका की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी पनपने लगी है।

सौंदर्यीकरण की योजना नहीं, चमक खो रहे स्मारक …

शहीद स्मारक सौंदर्यीकरण के बिना बेरंग नजर आ रहा है। सौंदर्यीकरण के लिए नगरपालिका हर बार आश्वासन देती है, लेकिन ठोस योजना नहीं बनाई। यहां तक की कुछ स्मारकों के ऊपर छतरी तक नहीं है। जिसके कारण धूल-डस्ट, धूप-बारिश सहते सहते स्मारक की चमक फीकी पड़ गई है। उस स्थान को भले ही नगरपालिका द्वारा मान देने के लिए स्मारक बनाये है, लेकिन रखरखाव ठीक से न होने से स्मारक धूमिल होते जा रही है। देखभाल और सौंदर्यीकरण के अभाव में स्मारक बेरंग लगने लगे है। लोगों का कहना है कि शहीदों की याद में स्मारक बनाये है, लेकिन ऐसी अव्यवस्थाओं से लोगों में नाराजगी है।

राष्ट्रीय पर्व या जयंती पर आती है याद …

न जाने कितने आंदोलनों की गवाह यह स्मारक साफ-सफाई के लिए तरस रहे है। लेकिन इनकी याद केवल जयंती या विशेष दिवसों में आती है, उसी दिन साफ-सफाई होती है। इसके बाद इन्हें भूला दिया जाता है। जयंती के दिन भी माला पहनाकर फोटो खिंचवाने की होड़ लगी रहती है और सैकड़ों सामाजिक संगठन और पार्टियों के साथ ही इन स्मारकों के नाम और विचारों का ढोल पीटते समाजसेवी लोगों को स्मारकों की दुर्दशा पर जाने कब मलाल होगा। इन स्मारकों के आसपास अव्यवस्थाओं को देखकर नागरिकों में नगरपालिका के जिम्मेदारों के प्रति रोष पनपते जा रहा है।

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सामाजिक संगठनों ने भी साधी चुप्पी …

राष्ट्रीय त्योहार या जयंती को धूमधाम से मनाने और महापुरूर्षो के बताये पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लेने वाले सामाजिक संगठन भी इन स्मारकों की सफाई व्यवस्था को लेकर चुप्पी साधे हुए है। यह जरूर है कि कुछ जागरूक नागरिक इन स्मारक के नियमित सफाई और सौंदर्यीकरण को लेकर आवाज उठाते है, लेकिन अब तक स्मारकों के सौंदर्यीकरण और साफ-सफाई को लेकर कोई ठोस योजना पर काम नहीं हुआ। जिससे स्मारक उपेक्षा का शिकार होते जा रही है।

इनका कहना है

मैं सफाई कर्मचारियों को निर्देशित करता हूं कि तत्काल स्मारक जाकर साफ-सफाई करे।

प्रकाश देशमुख, प्रभारी सीएमओ, नगरपालिका आमला

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