BETUL NEWS/भैंसदेही (मनीष राठौर) :- भैंसदेही प्रदीप महाले के यहां चल रही भागवत के पांचवे दिन पं श्याम मनावत ने कहा की भगवान के योग्य बनना हो तो अंदर से सुन्दर बनो बाहर से नहीं। कथनी और करनी का अंतर ख़त्म हो जायें तो हम भगवान के हो जाए पवित्र स्थानों पर हमारे मन मे जो विचार आयेगा वैसा ही हो जायगा। मंदिर मे सतोगुण लेकर जायेंगे तो आपके सतोगुण बढ़ जायेगे रजोगुण लेकर जायेगे तो रजोगुण बढ़ जायेगे आप मंदिर मे जैसे भाव लेकर जायेगे आपके काम वैसे ही होगे। मंदिर मे हमेशा सकारात्मक भाव लेकर जाइये धारणा से ध्यान से समाधी बनती है। असली की अपेक्षा नकली से गलती हो ही जाति है। असल कभी गलत नहीं होता। जिसे हर पिये उसे जहर कहते है और हर को महादेव कहते है।भगवान महादेव के शरण मे जाने से सारे विष समाप्त हो जाते है।किसी भी जीव का पार्थिव शरीर साक्षात् विष्णु के बराबर होता है।जो कृष्ण पुतना का प्रसंग सुनाता है सुनता है उसे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।पूतना का प्रसंग पं श्याम मनावत ने बड़े ही मार्मिक ढंग से बताया। नामकरण का बड़ा ही महत्व है। नामकरण चार प्रकार से होते है ज्यादा से ज्यादा नाम देवी देवताओं पर रखना चाहिए। कृष्ण का अर्थ है जो सबको आकर्षित करे। आप जिसकी पूजा करेंगे धीरे धीरे उनके जैसे हो जायेंगे।
आहार विहार जितना ठीक करेंगे उतना स्वस्थ रहेंगे। आज के इस युग मे सांप का काटा बच सकता है परन्तु इंसान का काटा नहीं बच सकता। आज इंसान बहुत जहरीला हो गया है। क्योंकि खेतो मे रासायनिक खाद का उपयोग कर रहा है. जिससे सब खाद सामाग्री दूषित हो रही है और उसका प्रभाव मनुष्य पर पड़ रहा है। नदी के कारण नाव की कीमत है पानी कहता है की मई तो डुबाऊंगा और नाव कहती है मैं तो तारूंगी। नदी नाव दोनों एक दूसरे के विपरीत है। वे लोग बड़े भाग्यशाली होते है जिन्हे बड़ो की गोदी मिलती है।मनुष्य पर सर्वाधिक प्रभाव भूमि डालती है भूमि पूछना नहीं पड़ता है धर्म पूछना पड़ता है। कुछ भूमि पर जाकर व्यक्ति की वृत्ती बदल जाती है राधा ही आनंद है और आनंद ही राधा है। त्रेतायुग मे भगवान राम ने केवल सबरी का झूठा खाया था परन्तु द्वापर युग मे श्रीकृष्ण ने तो सभी गोप का झूठा खाया था।
प्रतीक्षा से बड़ी पूजा दुनिया मे कोई नहीं है प्रतीक्षा पुजारी को भी पूज्य बना देती है। हमने सब जगह बैठकर लाइन लगाकर इंतजार किया लेकिन मंदिर की सीढ़ी पर कभी बैठकर इंतजार नहीं किया।गोवर्धन पूजन का प्रसंग बहुत ही गहराई से समझाया। की कैसे भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर अपने भक्तो की इंद्र से रक्षा की जिसकी झांकी का सचित्र वर्णन किया गया।आप जिसकी परिक्रमा करोगे आप उसकी तरफ जरूर झुकोगे हमेशा कृतज्ञता से परिक्रमा करना चाहिए। हरी नाम लेते हुए परिक्रमा करना चाहिए। रसो को भोगना ही 56 भोग है। पं श्याम मनावत की ओजस्वी वाणी सुनने के लिये भीड़ उमड़ते ही जा रही है।