Black Pepper Farming:- काली मिर्च की खेती एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें आप कम निवेश में लाखों रुपए कमा सकते हैं। मेघालय की नानाडो बी स्टैन्डर्ड ने मात्र 10,000 डॉलर के शुरुआती निवेश से जैविक काली मिर्च की खेती शुरू की और आज वह प्रति व्यक्ति लाखों रुपए कमा रही हैं। भारत में काली मिर्च की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमेशा बनी रहती है, जिससे छोटे किसान और उद्योगपति बनते हैं। यह खेती छायादार, नम जलवायु में पनपती है और इसे कम से कम उपयोग की आवश्यकता होती है।
काली मिर्च की खेती क्यों है फायदेमंद?
काली मिर्च, जिसे मसालों का राजा कहा जाता है, खाद्य, आयुर्वेद, और निर्यात उद्योगों में व्यापक रूप से उपयोग होती है। भारत इसका दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है, और श्रीलंका, वियतनाम, और यूरोपीय देशों में इसकी भारी मांग रहती है। इस खेती में शुरुआती निवेश कम लगता है, खासकर अगर आपके पास पहले से जमीन उपलब्ध है। एक बार पौधे स्थापित हो जाएं, तो वे 3 से 15 साल तक फसल देते हैं, जिससे लंबी अवधि का मुनाफा सुनिश्चित होता है। मेघालय के नानाडो मानक ने जैविक खेती के दम पर न केवल लाखों की कमाई की, बल्कि केंद्र सरकार से पद्मश्री सम्मान भी हासिल किया। उनकी सफलता इस बिजनेस की संभावनाओं को दर्शाती है।
शुरुआत कैसे करें?
काली मिर्च की खेती के लिए लाल, दोमट, या बलुई मिट्टी उपयुक्त है, जिसमें अच्छी जल निकासी हो। यह खेती मध्यप्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, और मेघालय जैसे क्षेत्रों में अच्छी होती है, जहां 20-35°C तापमान और 70-80% नमी उपलब्ध हो। चूंकि काली मिर्च एक लता है, इसे सुपारी, नारियल, या बांस जैसे सहारे की जरूरत होती है। छोटे स्तर पर शुरू करने के लिए 0.1 एकड़ (400 वर्ग मीटर) जमीन पर्याप्त है। शुरुआती निवेश में पौधे, खाद, सिंचाई, और सहारे के लिए सामग्री शामिल होती है।
लागत और निवेश
छोटे स्तर (0.1 एकड़) पर खेती शुरू करने के लिए कुल लागत करीब ₹8,000-10,000 होती है। इसमें 100-150 पौधों (पन्नियूर-1, करीमुंडा, या श्रीमूल जैसी उन्नत किस्में) की लागत ₹1,000-1,500, गोबर खाद और जैविक उर्वरक के लिए 3,000-4,000 रूपए मैनुअल या ड्रिप सिंचाई के लिए 2,000-3,000 रूपए और बांस या लकड़ी के सहारे के लिए 2,000 रूपए शामिल हैं। अगर जमीन किराए पर लेनी पड़े, तो अतिरिक्त 2,000-5,000 रूपए प्रति माह का खर्च जोड़ा जा सकता है। पहले साल में लागत ज्यादा होती है, लेकिन बाद में यह घटकर 5,000 रूपए प्रति वर्ष तक रह जाती है।
Strawberry Plant Care : अब घर पर आसानी से उगाएं स्ट्रॉबेरी, जानिए टिप्स –
खेती की प्रक्रिया
मानसून के दौरान (मई-जून) पौधरोपण शुरू करें। सहारे के पेड़ से 30 सेमी दूर 45x45x45 सेमी का गड्ढा खोदें, इसमें गोबर खाद, मिट्टी, और 5-10 ग्राम BHC पाउडर डालें। पौधे को गड्ढे में लगाकर सहारे से बांधें। नियमित ड्रिप या मैनुअल सिंचाई करें, लेकिन जलभराव से बचें। साल में 2-3 बार जैविक खाद डालें और कीटों से बचाव के लिए नीम तेल का छिड़काव करें। तीसरे साल से हरी मिर्च की फलियां तोड़ें, जिन्हें पानी में भिगोकर सुखाने पर काली मिर्च के दाने तैयार होते हैं।
मुनाफे का गणित
0.1 एकड़ में 100-150 पौधों से तीसरे साल से प्रति पौधा 2-3 किलो काली मिर्च मिल सकती है, यानी कुल 200-300 किलो। बाजार में जैविक काली मिर्च की कीमत 350-400 रूपए प्रति किलो है, जिससे प्रति वर्ष 70,000-80,000 रूपए की आय हो सकती है। पहले साल की लागत 10,000 रूपए और बाद में वार्षिक रखरखाव 5,000 रूपए घटाने पर 60,000-70,000 रूपए का शुद्ध मुनाफा संभव है। 1 एकड़ पर यह मुनाफा 6-7 लाख रूपए प्रति वर्ष तक पहुंच सकता है। जैविक प्रमाणन (NPOP) लेकर प्रीमियम रेट पर निर्यात करने से आय और बढ़ सकती है।