Betul Samachar :- बाढ़ के दौरान पुल पुलियाओ से आवाजाही रोकने के निर्देश तो जारी होते है। लेकिन इसका पालन कितना हो रहा है। इसकी बानगी दो दिनों में सामने आई दो तस्वीरों में देखने को मिला है। जिसमें लोग बाढ़ भरी नदी पार करते और यहां तक की उनमें तैराकी करते नजर आए है। ऐसे में व्यवस्थाओं और उनकी निगरानी पर सवाल खड़े हो गए है।
बैतूल के चोपना इलाके में भड़ंगा नदी में बाढ़ के दौरान छलांग लगाकर तैराकी करते दो युवकों का वीडियो वायरल हुआ है। जबकि भीमपुर में भी गाढ़ाघाट नदी पर रपटे को बढ़ते पानी के बीच पार करते लोग देखे गए है। ऐसे में इन्हे रोकने के इंतजाम को लेकर उदासीनता सामने आई है।
कलेक्टर ने दिए है निर्देश (Betul Samachar)
आज ही कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने राजस्व और पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिए कि अति वर्षा एवं बाढ़ के चलते सभी एसडीआरएफ, नगर पालिका और होम गार्ड के सुरक्षा दस्ते पूरी तरह सतर्क रहें। उन्होंने पुलिस और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को कहा कि पुल-पुलियाओं के दोनों ओर बैरिकेडिंग करवाई जाए। वहां पर चौकीदार तैनात किए जाए। जो पुल के ऊपर पानी बहने की स्थिति में लोगों को अवगत कराकर आवागमन रोकेगा ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना की आशंका न रहे।
बहने से अब तक हुई दो मौत (Betul Samachar)
पिछले साल 17 से ज्यादा मामले नदियों में बहने या डूबने के सामने आए थे। लेकिन गनीमत है की इस बार यह आंकड़ा दो पर है। लेकिन जिस तरह के दुस्साहस लोग कर रहे है। उसने चिंता बढ़ा दी है। बैतूल में होमगार्ड कमांडेंट इंदल उपनारे के मुताबिक लोग अतिआत्मविश्वास में बाढ़ भरे नदी नाले पार करते है। ऐसे में वे हादसे का शिकार होकर जान गंवा बैठते है।
उन्होंने बताया की उनके विभाग में आपदा के दौरान रेस्क्यू के लिए दल 24 घंटे तैयार रहते है। बारिश, बाढ़ के दौरान नाव,रस्सियां, ट्यूब्स व अन्य संसाधन और जवान हमेशा तत्पर रहते है। उन्होंने लोगो से अपील की की वे बारिश में जोखिम पूर्ण हालात में नदी रपटे पार न करे।
17 विभागों को दी गई जिम्मेदारी (Betul Samachar)
जिला प्रशासन ने बाढ़,बारिश के दौरान विभागवार जिम्मेदारी तय की है। 17 विभागों को अलग-अलग काम सौंपे गए है। प्रमुख रूप से राजस्व विभाग को अनुविभागीय स्तर और ग्रामीण स्तर पर समितियों का गठन कर बैठकों के आयोजन। दैनिक वर्षा की जानकारी स्टेट कमांड सेंटर भोपाल को भेजने गतवर्षों के अनुभव के आधार पर चेक लिस्ट और एक्सन प्लान तैयार करना।
सभी शासकीय, अशासकीय, समुदाय और समाज सेवी संगठनो के समन्वय, आपदा की स्थिति में बचाव दल, राहत दल, सर्वे दल का पूर्व से नामजद गठन करना। अनुविभागीय, ग्रामीण स्तर पर बचाव कार्य, राहत कार्य और सर्वे कार्य के लिए विभागीय बैठकों का आयोजन करने की जिम्मेदारी है।
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जबकि जल संसाधन को जिले की सभी नदियो और नालों के जल स्तर पर निगरानी, सीमावर्ती जिले, राज्यों और जिले के ऐसे बांधा की निगरानी जिनका पानी छोड़ने पर बाढ़ की संमभावना हो।बांध से छोड़े गये पानी की सूचना लगातार जिला कंट्रोल रूम को देने की जिम्मेदारी है।
PWD को पुराने पुलों की सूची, इन पर निरंतर निगाह और मरम्मत करने की व्यवस्था, डूब मे आने वाले पुलों की जानकारी, बैरियर लगाना, चौकीदार आदि की नामजद व्यवस्था, गार्ड स्टोन पर एक लाल निषान अंकित करने की व्यवस्था की इस निषान तक पानी आने व रहने पर रपटे या पुल पार नहीं किए करने देने पुल, पुलियो और रपटो पर पानी आने पर आवाजाही अवरूद्ध करना। विभाग के ठेकेदारों के पास जेसीबी, डंपर और क्रेन सहित अन्य उपकरणों को सूचीबद्ध कर कंट्रोल रूम को उपलब्ध कराना जिम्मेदारी दी गई है।
अमला कम जिम्मेदारी ज्यादा (Betul Samachar)
पीडब्ल्यूडी ने जिले में बड़ी नदियों पर 16 स्पॉट चिन्हित किए है। जहां ज्यादा पानी या बाढ़ की स्थिति रहती है। ईई पीडब्ल्यूडी प्रीति पटेल ने बताया की इन चिन्हित स्पॉट को गत वर्षो के सर्वे के आधार पर चिह्नित किया गया है। जहां बेरीकेट्स,ड्रॉप गेट की व्यवस्थाएं की गई है। अलग-अलग विभागों जैसे पीएमजेसीवाई, आरईएस की सड़कों पर पड़ने वाले पुल पुलिया की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की है। इसके अलावा सभी सड़को पर एसडीओ, सब इंजीनियर की ड्यूटी पेट्रोलिंग के लिए लगाई गई है। क्रिटिकल स्पॉट्स पर भी लेबर और उपयंत्री तैनात किए गए है।
कोटवार,सचिव, स्थानीय अमले की जिम्मेदारी (Betul Samachar)
बारिश बाढ़ के दौरान ग्रामीण इलाको में रपटो, पुल,पुलिया पर बाढ़ का पानी पहुंचने पर आवाजाही रोकने, किसी को पार न करने देने की जिम्मेदारी स्थानीय अमले की है। लेकिन यह बेहतर तरीके से पालन नहीं की जा रही है। फिलहाल जिले में महज 19 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई है।मूसलाधार बारिश न होने से नदी नालों में बाढ़ के हालात भी नही है।लेकिन जहां बाढ़ जैसे हालात बन रहे है।वहां सतर्कता बरतने की जरूरत है।