Betul Ki Khabar :– पांच दिन पहले मुख्यमंत्री ने 276 करोड़ की जिस सिंचाई बांध परियोजना का भूमिपूजन किया किसानों ने उसका विरोध शुरू कर दिया है। बैतूल के पास प्रस्तावित सीतलझीरी मध्यम उद्वहन सिंचाई परियोजना का (बुधवार) किसानों ने विरोध किया। मौके पर सर्वे करने पहुंचे सिंचाई विभाग के अधिकारियों को उन्होंने सर्वे करने से रोकते हुए वापस कर दिया। विभाग अब किसानों को समझाइश देगा।
बैतूल के पास सेहरा सीतलझिरी के करीब सिंचाई विभाग बांध बना रहा है। 276.13 करोड़ रूपए के इस बांध परियोजना का पिछले 14 जून को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मुल्ताई में भूमिपूजन भी किया था। लेकिन इस परियोजना से प्रभावित होने वाले किसान इसका विरोध कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि उनकी खेती की बेशकीमती जमीन इस परियोजना में डूब रही है। जबकि इसके एवज में मिलने वाला मुआवजा कम है। पहले यह फॉरेस्ट क्षेत्र में बनना था लेकिन बाद में विभाग ने इसका निर्माण स्थल बदल दिया।
किसानों ने बांध के परियोजना क्षेत्र का सर्वे करने पहुंचे एसडीओ सिंचाई, निर्माण एजेंसी के प्रतिनिधि नितेश भजन और उप यंत्री को सर्वे नहीं करने दिया। उन्हें स्थल पंचनामा बनाकर वापस लौटना पड़ा। जीएम उन्होंने किसानों के आक्रोश, बांध का निर्माण न करने के लिए विरोध का उल्लेख किया है। किसान तीन दिन पहले भी सर्वे का विरोध कर चुके हैं।
अधिकारी बोले- फायदे बताने मौके पर जाएंगे – Betul Ki Khabar
ईई इरिगेशन विपिन वामनकर ने किसानों के विरोध पर कहा कि जहां किसानों की भूमि डूबती है। वहां विरोध होता ही है। वे किसानों को समझाइश देने और परियोजना से होने वाले फायदे बताने मौके पर जाएंगे।
यह है परियोजना – Betul Ki Khabar
276.13 करोड रुपए की सीतलझीरी मध्यम उद्वहन परियोजना मांचना नदी पर बनाई जा रही है। इसमें 7 से 8 गांव के करीब 600 किसान प्रभावित होंगे। जबकि इस परियोजना से 9200 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। इस प्रोजेक्ट में 450 हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में आएगी। जिसमें सेहरा और सीतलझिरी के क्रमशः 110 और 150 हेक्टेयर जमीन प्रभावित होगी। इस परियोजना में नदी किनारे के 8 से 10 हेक्टेयर क्षेत्र ही डूब में आ रहा है।
जबकि बाकी गांव की 34 से 40 हेक्टेयर जमीन डूबेगी। खास बात यह है कि सिंचाई की बांध परियोजना में 10 प्रतिशत तक का क्षेत्र डूब में जाने की अनुमति होती है। लेकिन इस परियोजना में महज 6 फीसदी ही जमीन डूब रही है।