पढ़ाई न रुके, ये शिक्षक और ग्रामीण खुद नदी पारकर बच्चों को लाते और छोड़ते हैं

By sourabh deshmukh

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बरसात में टापू बन जाता है बोंदलाखेड़ा गांव

शिक्षक,ने कहा परेशानी तो है नौकरी है तो करनी पड़ेगी

Betul Latest News / भीमपुर (मनीष राठौर) :- बैतूल जिले के भीमपुर विकासखण्ड से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यह तस्वीर शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रही हैं. शिक्षक अपनी जान को जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंचते हैं, महिला शिक्षिका हो या पुरुष शिक्षक सभी इसी तरह कमर भर पानी में तैर कर स्कूल जाते हैं. इस बीच कैमरे के सामने शिक्षकों का दर्द निकल आया शिक्षकों ने कहा कि पूरे गांव लोग इसी तरह अपनी जान जोखिम में डालकर अपने बच्चो को बच्चों के पालक नदी पार कर के स्कूल लाते हैं , सरकार इस इलाके के लिए कोई व्यवस्था करती तो आज यह नौबत नहीं आती. देश आजाद होने के बाद भी ऐसी तस्वीर सामने आ रही फिर भी शिक्षा देने को मजबूर शिक्षक यूं तो ये एक शिक्षक हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाने का जज्बा इनकी अलग पहचान कराता है। ये स्कूल में पढ़ाने के लिए बच्चों को नदी पार करवा कर स्कूल लाते हैं और स्कूल से वापस छोड़ते भी हैं। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि यदि ये शिक्षक नहीं होते तो गांव के सैकड़ों बच्चे पढ़-लिख नहीं पाते।

हम बात कर रहे बैतूल जिले के भीमपुर विकासखण्ड के प्राथमिक शाला बोंदलाखेड़ा की, जहां प्रायमरी,स्कूल में 44 बच्चे दर्ज है वहां पहुंचने के लिए बच्चों को नदी पार कर जाना पड़ता है। अन्य मौसम मेंं बच्चे किसी तरह नदी पार तो कर लेते हैं लेकिन बारिश में नदी पार करना जोखिम भरा होता है। ऐसे में स्कूल के इन ग्रामीणों व शिक्षकों ने बच्चों की पढ़ाई नहीं रुके इसलिए खुद ही बच्चों को नदी पार कर स्कूल लाने और छोड़ने का जिम्मा उठाते हैं l

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शिक्षक ने यह भी बताया ज्यादा बारिश होने के बाद नदी में ज्यादा बढ़ रहती है तो वह अपने गांव में ही बच्चों को वापस लाकर अपनी व्यवस्था बनाकर बच्चों को पढ़ाते हैं नदी का रास्ता भी खतरनाक है ग्रामीण राजेश बारस्कर पवन बारस्कर मोतीलाल ठीकारे सहित गांव के अन्य लोग शिक्षक और बच्चे को प्रतिदिन इस तरह से नदी पार करवाने में मदद करते हैं बारिश में पानी आने से हाेती है दिक्कत बरसात के समय पानी ज्यादा आ जाने से आने जाने से दिक्कत होती है। वहां के लिए एक पुलिया स्वीकृत हो जाए तो बहुत अच्छा होगा बच्चे पढ़ने में और रुचि लेंगे बच्चों में थोड़ी घबराहट भी रहती है क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि की लापरवाही से मामला उजागर नही है l

खतरा उठाकर नदी पार करना मजबूरी
ग्रामीणों ने पुल की मांग की है यहां रहने वाले 50 से ज्यादा परिवार के लोग नदी पर पुल बनाने की मांग कर चुके हैं। शिक्षकों सहित ग्रामीणों ने भी कई बार इस समस्या के निराकरण के आवेदन दिया लेकिन ने इस ओर किसी का कोई ध्यान नही ।
शिक्षक धुर्वे ने कहा बच्चों को पढ़ाना ही मुख्य उद्देश्य है बच्चाें को पढ़ाना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। इसके लिए हम बच्चों की इस परेशानी को कम कर उन्हें स्कूल तक लाते हैं। ऐसा करने से शायद इन बच्चों का भविष्य बन जाए और एक बेहतर जिंदगी जी सकें।

44 बच्चे पढ़ते हैं स्कूल में
सरकारी प्रायमरी बोंदलाखेड़ा स्कूल में 44 बच्चे पढ़ते हैं। शिक्षकों की इस कोशिश की वजह से स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बरकरार है छलका शिक्षकों का दर्द:वहीं विद्यालय के शिक्षक धुर्वे जी हर रोज नदी से पानी में तैर कर स्कूल जाना पड़ता है. शिक्षकों का कहना है कि विभाग को ऐसी परिस्थितियों में उन लोगों के लिए सुविधा देनी चाहिए. वो लोग जान जोखिम में डालकर कैसे स्कूल पहुंचेंगे इसके लिए कमर से ऊपर तक पानी बहता रहता है और इसी पानी में तैर कर हम लोग स्कूल तक पहुंचते हैं.”- शिक्षक धुर्वे का कहना है प्रतिदिन इस प्रकार से नदी पार करके बच्चों को पढ़ाने जाते हैं l

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