स्टोन क्रेशर के धमाकों से दहल जाते है ग्रामीण, कई शिकायतों के बाद भी नहीं निकला कोई हल
ग्राम पंचायत बोथिया ब्राह्मणवाड़ा के ग्राम झिटापाटी के हाइवे मार्ग में लगी स्टोन क्रेशर का मामला
BETUL NEWS /आमला :- बैतुल जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर नेशनल हाइवे के ग्राम बोथिया ब्राह्मणवाड़ा स्थित स्टोन क्रेशर से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण इसको लेकर पिछले 5 सालों से शिकायतें कर रहे है मगर निराकरण अब तक नहीं हो पाया है। स्टोन क्रेशर से ग्रामीणों के स्वास्थ में लगातार बुरा प्रभाव पड़ रहा है। गांव में कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ व स्कीन सम्बंधी बीमारियां हो रही है।
जानकारी के अनुसार नेशनल हाइवे पर संचालित स्टोन क्रेशर में निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीण सहित हाइवे से आवाजाही करने वाले लोग उड़ती हुई धूल से परेशान हैं। नियमानुसार क्रेशर का संचालन सड़क से 200 मीटर के दायरों पर होना चाहिए, लेकिन यह हाइवे से लगा हुआ है, लेकिन प्रदूषण की रोकथाम के लिए यहां कोई उपाय नहीं किए गए। स्थानीय लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन शिकायतों पर सुनवाई नहीं होने से वे भी चुप हैं। इधर खनिज विभाग के अधिकारी भी निरीक्षण करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। स्टोन क्रेशर के लिए अनुमति दे दी गयी क्रेशर मशीन से जो धूल का गुबार उड़ता है उससे फसले बर्बाद हो जाती है। फसलों पर पत्थरों की धूल जम जाने से उनमें अंकुरण की प्रक्रिया नही हो पाती।
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ये है गड़बड़ी: ग्राम पंचायत बोथिया ब्राह्मणवाड़ा के ग्राम झिटापाटी के हाइवे मार्ग में लगी स्टोन क्रेशर संचालक द्वारा अम्बाड़ा गांव मार्ग से पत्थर की खदानें संचालित की जा रही है। पत्थर उत्खनन के लिए यह जगह लीज पर दी गई है। इन स्थानों के अलावा यहां कई जगहों पर पत्थर का अवैध खनन भी चल रहा है। खुदाई से बड़ी गहरी खाई बन गई है। इससे दुर्घटनाएं होती रहती है। जबकि कोई भूस्वामी बिना तहसील कार्यालय की अनुमति के बगैर खेत व जमीन पर मशीनों से खुदाई नहीं करा सकता है, लेकिन पंखा व अम्बाड़ा गांव के आस-पास अनेकों स्थान पर पत्थर, मुरुम उत्खनन बनाने का कार्य किया जा रहा है।
प्रदूषण से बड़ रही परेशानियां
हाइवे के पंखा पर लगे स्टोन क्रेशर से धूल उड़ने से ग्रामीण परेशान है। एक क्रेशर से तीन से चार किमी के आवासीय क्षेत्र प्रभावित होता है। क्रेशर से निकलने वाली धूल, पानी तथा आस-पास की हरियाली और मानव स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव डालती है। इस गांव के घरों की छत पर धूल की मोटी परत जमा जाती है। पानी व फसलों पर धूल जमा हो जाती है। जबकि नियमानुसार क्रेशर के चारों तरफ ऊंचीं बाउंड्रीवॉल, हरे परदे की दीवार होनी चाहिए। यहां लगातार पानी का छिड़काव होना चाहिए, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा मुख्य मार्ग के पास संचालित क्रेशर से उड़ने वाली धूल राहगीरों और वाहन चालकों की आंख में भी चुभती है। इसकी शिकायत के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।