शासकीय महाविद्यालय भैंसदेही में राष्ट्रीय वेबिनार हुआ आयोजित

By betultalk.com

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महिला – पुरूष एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं : प्रो श्रीवास्तव

वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी अभी भी कम : डॉ रॉय

Betul News / भैंसदेही (मनीष राठौर) : शासकीय महाविद्यालय भैंसदेही में ‘ जेंडर इश्यूज़ एंड विमेन एंपॉवरमेंट ‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ एवं आंतरिक शिकायत समिति के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रथम आमंत्रित वक्ता के रूप में इतिहास विभाग डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के विभागाध्यक्ष प्रो ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित रहें। साथ ही द्वितीय आमंत्रित वक्ता के रूप में सेठ केसरीमल पोरवाल महाविद्यालय कामठी नागपुर की सह प्राध्यापक डॉ रेणुका रॉय उपस्थित रहीं। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के प्राचार्य श्री जितेंद्र कुमार दवंडे के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।

वेबिनार में प्रो श्रीवास्तव ने ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में भारत में महिलाओं की स्थिति के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन काल में महिलाओं को सम्मान जाता था। उन्होंने वैदिक ग्रंथों के उद्धरण से महिलाओं की स्थिति का वर्णन किया। प्रो श्रीवास्तव ने पाषाण काल, सिंधु घाटी सभ्यता, महाजनपद काल से लेकर गुप्त काल, मध्यकाल और आधुनिक काल तक महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महिला और पुरुष एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं। समाज के विकास के लिए दोनों का विकास आवश्यक है।

द्वितीय आमंत्रित वक्ता डॉ रेणुका रॉय ने अपने वक्तव्य में महिला सशक्तिकरण के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विचार करने योग्य बात है कि आज भी हमें सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की तमाम सुविधाओं में वृद्धि के बावजूद आंकड़ों का विश्लेषण करने पर हम देखते हैं कि वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी कम है।

कामकाजी महिलाओं को भी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इससे पूर्व प्राचार्य श्री दवंडे ने स्वागत उद्बोधन में आमंत्रित वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि वेबिनार के आयोजन का मुख्य उद्देश्य इस विषय पर स्वस्थ परिचर्चा को बढ़ावा देकर जागरूकता लाना है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आर्थिक और राजनैतिक अधिकार प्राप्त होने के बावजूद यह देखने में आता है कि वे अपने अधिकारों का पूरी तरह से लाभ नहीं ले पाती है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ नीलिमा धाकड़ ने किया तथा आभार प्रदर्शन श्री रविन्द्र सिंह शाक्यवार द्वारा किया गया। कार्यक्रम के लिए तकनीकी सहयोग श्री कालूराम कुशवाह, डॉ मुकेश सस्त्या एवं सुश्री विशाखा गुरव ने दिया। कार्यक्रम में प्राप्त शोध पत्रों को संकलित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा।

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