Betul News – शहर की दुकानों में बेची जा रही एक्सपायरी डेट की सामग्री

By betultalk.com

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संबंधित विभाग नहीं देता ध्यान, लोगों की सेहत हो सकती है खराब

Betul News / भैंसदेही (मनीष राठौर) :- भैंसदेही शहर में छोटी-बड़ी दुकानों पर ब्रेड, केक, पेस्ट्री सहित अन्य खाद्य सामग्री बेची जा रही है। यह सामग्री एक्सपायर होने के बाद भी दुकानदार इन्हें नष्ट करने के बजाए ग्राहको को थमा रहे है। जिससे लोगों की सेहत खराब हो सकती है। वहीं कुछ केक, पेस्ट्री सहित अन्य खाद्य सामग्री पर एक्सपायरी डेट व कंपनी का नाम तक नहीं है। यह भी नहीं लिखा होता कि कौन सी खाद्य सामग्री कितनी मात्रा में मिलाई गई है। पैकिंग पर कंटेंट की बात तो छोडि़ए इसे किस कंपनी ने कहां बनाया यह भी प्रिंट नहीं होता। निर्माण की डेट अंकित न होने से उनके खराब होने का पता नहीं चलता। जबकि छोटे-छोटे बच्चे इन खाद्य सामग्री को लेने में न केवल रूचि रखते हैं, बल्कि बड़े चाव से खाते भी हैं। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके बावजूद खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग न तो ऐसे खाद्य सामग्रियों की जांच कर रहा है और न ही ऐसी खाद्य पदार्थो के निर्माताओं पर कार्रवाही हो रही है, जो बिना लायसेंस खाद्य पदार्थो का व्यवसाय कर रहे। हैरानी इस बात है कि दुकानदार भी यह कहकर पल्ला झाड़ देते है कि हमे एजेंट सामग्री लाकर देता है। सामग्री कब बनी और कौन सी खाद्य सामग्री कितनी मात्रा में मिलाई गई है, इसकी उन्हें भी जानकारी नहीं।

एक्सपायरी डेट के बाद भी बेच दी ब्रेड, लगी थी फफूंद

शहर की दुकानों में एक्सपायरी डेट की सामग्रियां भी बेची जा रही है। जिससे लोगों की सेहत खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। भैंसदेही में स्थित दुकान से जब ब्रेड का पैकेट खरीदा तो उसमें फफूंद लगी हुई थी। यह तो अच्छा हुआ कि परिवार के बड़े लोगो का ब्रेड पर ध्यान चला गया, अन्यथा इस ब्रेड के सेवन से बच्चों की तबीयत भी बिगड़ सकती थी। लोगों का कहना है कि एक्सपायरी डेट के बाद खाद सामग्री का विक्रय किया जाना खाद विभाग की जांच और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। विभाग को समय-समय पर ऐसे खाद पदार्थो और दुकानों की जांच करना चाहिए।

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मांगने पर भी दुकानदार नहीं देते बिल, विभाग मौन

ब्रेड, केक सहित अन्य खाद सामग्री बेचने वाले दुकानदार ग्राहकों को बिल नहीं देते है। यदि कोई ग्राहक बिल मांगता भी है तो सादे कागज पर सामग्री और कीमत लिखकर दे दी जाती है। ऐसे बिल पर न तो दुकान का नाम लिखा रहता है और न ही सील लगी होती है , बस सिर्फ घसीटे में हस्ताक्षर रहते है। जिसकी वजह से कोई ग्राहक दुकान के खिलाफ कोई शिकायत भी करे तो दुकानदार साफ मुखर जाते है। इन सभी लापरवाही की शिकायतों के बाद भी विभाग के अधिकारी न तो दुकानों की जांच करते है और न ही कभी कोई ठोस कार्रवाही होती है। जिसके कारण विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे है। जागरूक नागरिकों ने जिला कलेक्टर से उक्त मामले को संज्ञान में लेकर जांच कराये जाने की मांग की है।

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