रमली बांध की पुलिया निर्माण की स्वीकृति के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं, जनप्रतिनिधियों ने नही किया प्रयास

By sourabh deshmukh

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रमली बांध पर 50 सालों से पुल निर्माण की राह देख रहे ग्रामीण

Betul Samachar / आमला :- रेलवे के रमली बांध पर ब्रिज निर्माण की मांग अब भी अधूरी है। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी ही कहेगे कि यह पुल वर्षो बाद भी नहीं बना है। हालांकि यह पुल नपा को बनाना है और कुछ समय पहले पुल निर्माण को स्वीकृति मिलने की बाते उठी थी और ग्रामीणों में हर्ष था, लेकिन अब तक निर्माण शुरू नहीं हुआ। जिससे ग्रामीणों में नाराजगी देखी जा रही है। ग्रामीणों की यह नाराजगी अधिकारियों के अलावा जनप्रतिनिधियों की पुल निर्माण को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाने के कारण भी बनी हुई है। दरअसल यहां कई सालों पहले रेलवे विभाग ने टेम्प्रेयरी छोटे से पुल का निर्माण कराया था। तब से इस पुल का उन्नयन नहीं हो सका और आज भी यह पुल यथावत है। पुल संकरा और छोटा होने से किसानों को लगभग 10 से 15 किमी का फेरा लगाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि रमली पुल बेहद सकरा और कमजोर है, जिस पर से वाहन लेकर गुजरना बेहद खतरनाक है। ब्रिज नहीं होने से ज्यादा दिक्कते लोडेट वाहन चालकों को उठानी पड़ती है। ऐसे में रमली, नांदपुर, ससुंद्रा, परसोड़ा और रंभाखेड़ी पंचायतों में रहने वाले लोगों को फेरा लगाकर आना-जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी किसान वर्ग की होती है। फसल बेचने के लिए किसान आमला होते हुए पंखा हाइवे पहुंचते है। जिससे उनका समय और अतिरिक्त धन व्यय होता है।

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जर्जर हो चुका है रेलवे पुल …

पुल निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 50 साल से पुल निर्माण की मांग कर रहे है। पुल निर्माण के लिए प्रशासनिक स्तर से लेकर जनप्रतिनिधियों को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन आज तक पुल का निर्माण नहीं हुआ है। यह पुल जर्जर हो चुका है जो बेल नदी पर निर्मित है, कभी भी धराशाई होकर बड़े हादसे का कारण बन सकता है, किंतु इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि पुल निर्माण को लेकर बड़ी-बड़ी बातें हुई, लेकिन पुल नहीं बना। जिसके कारण लोग आज भी सकरे पुल से आते-जाते हैं, उन्हें हमेशा डर बना रहता है कि कहीं पुल किसी अनहोनी का कारण न बन जाये।

कई पंचायतों को हाइवे से जोड़ता है पुल …

रमली मार्ग पर रेलवे पुल कई पंचायतों के गांवों को हाइवे से जोड़ता है। लेकिन पुल संकरा और सालों पुराना होने से बड़े वाहनों का आवागमन नहीं हो पाता। किसानों को अपनी उपज लाने-ले जाने के लिए आमला, रमली, नांदपुर होते हुए ससुन्द्रा हाइवे पहुंचना पड़ता है। जिसमें किसानों अधिक भाड़ा और समय का नुकसान होता है। ग्रामीणों ने कहा कि ब्रिज बनने के बाद आमला सांई मंदिर से होते हुए नांदपुर और ससुंद्रा से सीधे हाइवे पहुंच जायेगे। जिसकी लंबाई सिर्फ 6-7 किमी है। किन्तु पुल नहीं होने से 10 से 15 किमी का फेरा लगाना पड़ रहा है। पैदल या दोपहिया वाहन चालक बेलनदी के पुराने पुल से गुजर जाते है, किन्तु बड़े वाहन ले जाने के लिए ग्रामीणों को फेरा लगाकर पहुंचना पड़ता है।

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