Betul Samachar :- चेक बाउंस की एक 3 साल पुराने मामले में चेक बाउंस का केस लगाने वाले की साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण अभियुक्त को चेक बाउंस के केस से दोष मुक्त कर दिया गया है आमला के रहने वाले व्यक्ति से तोरनवाड़ा के व्यक्ति ने ₹200000 उधार लिए थे जब ₹200000 वापस नहीं किया तो चेक दिया गया था जो बाउंस हो गया था चेक बाउंस का केस लगाया गया था चेक बाउंस का केस लगाने के बाद लगभग 2 साल से गवाही देने के लिए परिवादी न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रहा था इस दौरान चेक बाउंस का केस लगाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी l
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उसकी ओर से उसके परिवार के प्रतिनिधि न्यायालय में उपस्थित हुए थे किंतु लगातार अवसर देने के बाद भी गवाही न देने के कारण अंतिम अवसर प्रदान किया गया था आज भी गवाह न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ उनकी ओर से अधिवक्ता ने उनकी बीमारी के इलाज के दस्तावेज पेश किए थे न्यायालय द्वारा सभी परिस्थितियों को अवलोकन करते हुए शीघ्र विचारण अभियुक्त और परिवादी का मौलिक अधिकार है अभियुक्त की अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय ने तर्क दिया कि संविधान ने प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्र न्याय का अधिकार दिया गया है विचारण में विलंब से अभियुक्त के मौलिक अधिकारों का हनन होता है यह स्थिति इस न्यायालय को कठोर रुक अपने के लिए विवश करती है न्यायालय नेअभियुक्त को दोष मुक्त कर दिया l