दिल्ली अपनी प्रदूषित हवा के लिए बदनाम है, जो सर्दियों के महीनों में शहर में पूरी तरह से जहरीली हो जाती है। यह खतरनाक समस्या अब कई सालों से चली आ रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर अक्सर 999 पर पहुंच जाता है। जबकि संयुक्त राष्ट्र की अनुमेय सुरक्षित सीमा 50 है। राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण में कई समस्याएं योगदान करती हैं और वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन उनमें से एक है। इसलिए, यहां के अधिकारियों ने हाल ही में कई कार्य योजनाएं बनाई हैं। जिनमें इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) से चलने वाले चार्जिंग स्टेशन भी शामिल .
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की राज्य-स्तरीय जलवायु परिवर्तन पर संचालन समिति की बैठक के दौरान वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए कई संभावित उपायों पर चर्चा की गई। इनमें से कुछ इमारतों की छतों को सफेद गर्मी-प्रतिबिंबित पेंट (हीट रिफ्लेक्टिव पेंट) से रंगना, वर्टिकल फॉरेस्ट और सौर ऊर्जा से चलने वाले ईवी चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं। जबकि इनमें से कुछ का मकसद यहां हीट वेव के प्रकोप से निपटना है। वहीं अन्य का लक्ष्य उत्सर्जन के स्तर को कम करना है।
रिपोर्ट में जानकार सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सौर ऊर्जा से चलने वाले ईवी चार्जिंग स्टेशनों में प्रदूषणकारी स्रोतों से पैदा होने वाली बिजली पर निर्भरता कम करने की क्षमता है। दिल्ली राज्य सरकार वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के स्तर को कम करने के प्रमुख तरीकों में से एक के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों को समर्थन दे रही है।
दिल्ली का प्रदूषण संकट
दिल्ली और उत्तरी भारत के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हैं। दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या मुख्य रूप से इस तथ्य से पैदा होती है कि यह एक घिरा हुआ शहर है। और इसकी भौगोलिक स्थिति इसे पश्चिम में राजस्थान से आने वाली धूल भरी हवाओं और हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब से जलाए गए पराली के प्रति संवेदनशील बनाती है।
लेकिन दिल्ली में वाहनों की संख्या भी बहुत ज्यादा है और यह शहर में प्रदूषण के उच्च स्तर का एक प्रमुख कारण है। जब तक सर्दियों का मौसम दिल्ली के दरवाजे पर दस्तक देना शुरू करता है। तब तक PM 2.5 का स्तर पहले ही खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका होता है।
दिल्ली की ईवी रणनीति
जबकि दिल्ली यहां स्थानीय लोगों के बीच ईवी को अपनाने को बढ़ावा दे रही है। राज्य सरकार की योजना 2035-2040 तक पूरी तरह से शून्य-उत्सर्जन बस बेड़े की भी है। इस समय, शहर में 1,650 सार्वजनिक इलेक्ट्रिक बसें हैं। और सरकार का लक्ष्य 2025 के आखिर तक 8,000 इलेक्ट्रिक बसें तक रखने का है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली में चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पेट्रोल वाहन के लिए यह अवधि 15 वर्ष है।