देश के अधिकांश किसान धान की खेती करते हैं. ऐसे में उनकी ये चिंता रहती है कि कहीं दीमक जैसी कीड़े उनकी फसल को नुकसान न पहुंचा दें. क्योंकि धान की खेती करते समय खेत में अच्छी तरह से पानी भर दिया जाता है और जड़ें पानी में ही रहती हैं. ऐसे में कीड़े भी उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं. जिससे पैदावार कम होने की चिंता किसानों को सताती रहती है. लेकिन आज हम यहां एक सस्ती दवा के बारे में जानेंगे. जिसे किसानों को बुवाई से पहले इस्तेमाल करना होगा. तो चलिए जल्दी से जानते हैं इस दवा के बारे में और ये भी जानेंगे कि इसे खेत में कब और कैसे डालना है.
किसानों की मदद के लिए किया गया शोध
किसानों की मदद के लिए वैज्ञानिक नए-नए शोध करते रहते हैं. ताकि किसान खेती से ज्यादा पैदावार ले सकें और उनका काम आसान हो सके. उसी क्रम में हाल ही में उत्तर प्रदेश के गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा एक फंफस जनित जैविक उत्पाद तैयार किया गया है. इससे किसान मिट्टी का उपचार कर सकते हैं. जिसके बाद क्या होगा कि फसल की जड़ों में दीमक या अन्य किसी भी तरह के कीड़े का प्रकोप नहीं होगा. यानी मिट्टी का उपचार जरूरी है. ये हर खेती में किसानों की मदद करेगा. आइए जानते हैं क्या है इस दवा की कीमत और कहां से मिल सकती है.
कैसे करें इस दवा का इस्तेमाल?
हम जिस दवा की बात कर रहे हैं वो हर किसान के बजट में फिट बैठेगी. इससे फसल को नुकसान पहुंचाने वाले मिट्टी के कीड़ों को भगाया जा सकता है. जिसके लिए आप जब खेत की आखिरी जुताई करें तो लगभग पांच किलोग्राम बोवेरिया बेसियाना और मेथारहिजियम अनीसोप्लियाई को सड़े हुए गोबर के साथ मिलाकर एक हेक्टेयर खेत में डाल सकते हैं. इसके बाद फिर से खेत की जुताई करें और मिट्टी को पलट दें. फिर धान की खेती के लिए जरूरी पानी भरें और अपना खेत तैयार कर के धान की रोपाई करें.
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दवा की कीमत और कहां से मिलेगी
अब किसानों के मन में ये सवाल होगा कि भाई इसकी कीमत क्या है. तो बता दें कि ये बोवेरिया बेसियाना और मेथारहिजियम अनीसोप्लियाई सिर्फ 168 रुपये में ही मिल जाता है. अगर आप इसे लेना चाहते हैं तो ये उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान में उपलब्ध है. आप यहां से संपर्क कर सकते हैं.