पारस डोह सिंचाई परियोजना में गड़बड़ी, किसानों ने कहा- नहीं मिला कोई लाभ

By betultalk.com

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Betul Ki Khabar :- 140 करोड़ रुपए की पारसडोह सिंचाई परियोजना में गड़बड़ी को लेकर आज क्षेत्र के किसानों, जिला पंचायत सदस्यों, भाजपा नेताओं ने कलेक्टर से मिलकर योजना में बरती गई अनियमितताओं से अवगत कराया है। किसानों ने मांग की है कि अधूरे कार्य को पूरा किए बिना योजना को शासन को न सौंपा जाए और ठेकेदार को एनओसी न दी जाए।

जिला पंचायत सदस्य उर्मिला गव्हाड़े, पूर्व भाजपा युवा मोर्चा के भवानी गावंडे, किसान नेता मकरध्वज सूर्यवंशी, गुलाब देशमुख, चिंताराम हरोडे और अन्य नेता आज कलेक्टर से मिले। उन्होंने बताया की 6 सालो से निर्माणाधीन पारसडोह सिंचाई परियोजना से 45 ग्रामों के 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का वादा किया गया था। हालांकि, पिछले 5 वर्षों से पानी तो संग्रहित किया जाता है, परंतु किसानों को पूर्ण और व्यवस्थित सिंचाई नहीं मिली है। इस कारण किसानों की फसलें सूख रही हैं।

किसानों का आरोप है कि ठेकेदार और सिंचाई विभाग ने झूठे आंकड़े प्रस्तुत कर किसानों को झूठे सिंचाई बिल थमा दिए हैं। किसानों का कहना है कि पानी की कमी के कारण उनकी गेहूं की फसलें सूख जाती हैं। और पाइपलाइन की टूट-फूट से उनकी जमीनें नष्ट हो रही हैं। विभाग और ठेकेदार के कुप्रबंधन के कारण किसी भी ग्राम में एक पलेवा 3 पानी नहीं दिया गया है।

योजना से लाभ नहीं, बल्कि घाटा (Betul Ki Khabar)

किसानों ने कहा कि योजना से शासन और जनता को कोई लाभ नहीं मिला है, बल्कि बिजली बिल के रूप में प्रतिवर्ष शासन पर लगभग 4 करोड़ रुपये का भार आ गया है। योजना घाटे में चल रही है और बंद होने की कगार पर आ गई है। योजना की सबसे प्रमुख गड़ी पाइपलाइन भी निश्चित गहराई में नहीं गड़ी गई है, जिससे खेतों की जुताई करते वक्त पाइपलाइन टूट जाती है।

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आंदोलन की चेतावनी (Betul Ki Khabar)

किसानों ने स्पष्ट किया कि यदि योजना की अव्यवस्थाएं दूर नहीं की गईं तो 42 गांव के 20 हजार किसान आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। किसानों का कहना है कि बिना सूचना के मोटर पंप चालू किए जा रहे हैं, जिससे उनकी खेती की सिंचाई नहीं हो रही है और पानी नदी-नालों में व्यर्थ बहा दिया जाता है।

यह है किसानों की मांगें (Betul Ki Khabar)

ज्ञापन में किसानों ने मांग की है कि अधूरे कार्य को पूरा किए बिना योजना को शासन को न सौंपा जाए और ठेकेदार को एनओसी न दी जाए। इसके साथ ही विभाग को बिंदुवार जांच कराकर संबंधित ग्राम की सिंचाई का निरीक्षण किया जाए।

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