Amalaki Ekadasi 2025 : 9 या 10 मार्च, कब है आमलकी एकादशी? यहां जानिए सही तारीख और पूजा विधि

By betultalk.com

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Amalaki Ekadasi 2025 :- आमलकी एकादशी इस बार 10 मार्च को है। इस एकादशी को आंवला एकादशी और रंगभरी एकादशी भी कहते हैं। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आँवला एकादशी कहा जाता है। आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा और उसका इस्तेमाल खास तरीके से किया जाता है। यह व्रत उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए माना जाता है। इस दिन मंदिर में आंवला का पेड़ लगाना भी शुभ होता है। मान्यता है कि आंवले के वृक्ष की पूजा और उसका सेवन करने से अच्छा स्वास्थ्य और भाग्य मिलता है। आइए आपको बताते हैं इस दिन का खास महत्‍व, पूजाविधि और पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है।

आंवला एकादशी का व्रत :

आमलकी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को है। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी 9 मार्च, रविवार सुबह 7 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 10 मार्च, सोमवार सुबह 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, आमलकी एकादशी 10 मार्च को मनाई जाएगी। आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च को रखा जाएगा

आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त :

ब्रह्म मुहूर्त – 10 मार्च सुबह 4:59 मिनट से 05:48 मिनट तक.

गोधूलि मुहूर्त – 10 मार्च शाम 06:24 मिनट से शाम 06:49 मिनट तक.

निशिता मुहूर्त – 11 मार्च रात 12:07 मिनट से देर रात 12:55 मिनट तक.

अभिजीत मुहूर्त – 11 मार्च शाम 06:12 मिनट से दोपहर 07:52 मिनट तक.

अमृत काल – 11 मार्च दोपहर 12:08 मिनट से सुबह 12:55 मिनट तक.

आंवला एकादशी का महत्त्व :

आँवला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन ख़ास तौर पर महिलाओं के द्वारा व्रत रखा जाता है, पूजा पाठ की जाती है, आंवले के पेड़ की परिक्रमा की जाती है। ऐसा करने से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।

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आंवला एकादशी पूजा विधि :

  • आँवला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान दान करें, पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण करें।
  • भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें, घर के मंदिर में एक चौकी रखें।
  • क्योंकि के ऊपर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या फिर तस्वीर को स्थापित करें।
  • व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान उन्हें फूल, फल, मिठाई, तुलसी और चंदन अर्पित करें।
  • माता लक्ष्मी को शृंगार की चीज़ें चढ़ाएं। भगवान और माता के सामने देसी घी का दीपक जलाएं।
  • भोग लगाएं, और अंत में आरती करें। भोग को सभी लोगों में बांटें।

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