Betul Ki Khabar :- बैतूल बाजार में एक पौधा इन दिनों कृषि वैज्ञानिकों के लिए रिसर्च का विषय बना हुआ है। सोयाबीन का यह पौधा एक दो नहीं बल्कि पूरा 15 फीट ऊंचाई का है। इसे देखने दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि आमतौर पर सोयाबीन का पौधा महज तीन फुट का होता है।
बैतूल बाजार मुख्यमार्ग पर प्रसिद्ध बालाजीपुरम मंदिर के पास आशीष वर्मा की चाय की दुकान है। आशीष की कस्बे के पास ही खेती भी है। अपने खेत में खरीफ की फसल लगाने के लिए उन्होंने पिछले साल प्रिया गोल्ड वैरायटी के सोयाबीन के कुछ बीज लिए थे। इस बीज को जांचने और उसके अंकुरण के लिहाज से उन्होंने दुकान के सामने ही सोयाबीन के कुछ बीज उगाने के लिए रोप दिए थे।
पिछले साल किए गए इस जतन के बाद यह पौधा बढ़ते-बढ़ते 15 फुट की ऊंचाई पर पहुंच गया। जब इसमें सोयाबीन की फल्लियों के फलन का समय आया तो उसमे करीब 400 ग्राम सोयाबीन निकला।
इसी बीज को आशीष ने इस साल भी अप्रैल में उसी जगह रोपा तो यह पौधा फिर ऊंचाई पर पहुंच गया। फिलहाल यह 12 फुट ऊंचाई का है। आशीष के मुताबिक, इस खेत में उगाने पर यह सोयाबीन की सामान्य ऊंचाई का पौधा बनता है। लेकिन यहां यह हर बार 15 फुट पर पहुंच रहा है।
किसान भी इसकी ऊंचाई देख कर हैरान – Betul Ki Khabar
बरसों से खेती करते हुए सोयाबीन की फसल उपजा रहे प्रतिष्ठित किसान अनिल वर्मा बताते हैं कि पिछले 25 साल के उनके किसानी जीवन में उन्होंने कई वैरायटी के सोयाबीन की फसल लगाई हैं। लेकिन, ऐसा सोयाबीन कभी नहीं देखा।
आमतौर पर सोयाबीन के पौधे की ऊंचाई ढाई से तीन फुट की होती है। जिसमें फल्लियां लगकर फसल आ जाती है। अगर पौधे की बाढ़ और ज्यादा हो जाए तो इसमें अफलन जैसी स्थिति बन जाती है। लेकिन इस पौधे के साथ ऐसा न होना किसी अजूबे से भी कम नहीं। उन्होंने इस पर रिसर्च किए जाने की जरूरत बताई है।
कृषि वैज्ञानिक भी पौधे और उसकी उपज देखकर आश्चर्य में पड़े – Betul Ki Khabar
जहां यह पौधा लगा है, उससे महज आधा किलोमीटर दूर जिले का एक मात्र कृषि विज्ञान केंद्र है। इसके वैज्ञानिकों ने भी इस पौधे को देखा है। केंद्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर विजय वर्मा में बताया कि अभी तक कहीं ऐसा देखने में नहीं आया है कि सोयाबीन का पौधा इतना लंबा हो।
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इंदौर स्तिथ संचालनालय, जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय के बीज प्रजनकों से इस पर चर्चा हुई है। वे इसका बीज एकत्रित कर इस पर विस्तृत रिसर्च की सलाह दे चुके हैं। वे बताते हैं कि 6 हजार जर्म प्लाज्म सोयाबीन की वैरायटी उनके पास केंद्र में एकत्रित है। उसमे ऐसी कोई प्रजाति नहीं हैं। प्रिया गोल्ड का भी ऐसा गुण नहीं है। रिसर्च के बाद इसमें कोई विशेषता पाई जाती है तो इसे सोयाबीन के साथ इनकॉरपोरेट कर उगाया जा सकता है।
पोषक तत्वों का भी हो सकता है अंतर – Betul Ki Khabar
वैज्ञानिक मानते हैं कि इस पौधे को दिए जाने वाले पोषक तत्वों के अंतर की वजह से भी इसकी बाढ़ में अंतर हो सकता है। दुकानदार आशीष के मुताबिक उनकी चाय की दुकान है। हर बार चाय बनाने के बाद जो चायपत्ती बच जाती है। वह इस पौधे की जड़ के पास डाल देते है। वैज्ञानिक विजय कहते है कि यह भी अनुसंधान का विषय है कि सोयाबीन में चायपत्ती डालने से पौधा इतना बढ़ सकता है। ऐसी अब तक कोई रिकमेंडेशन नहीं है।
बता दें कि सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है। विशेषकर मध्यप्रदेश में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। सोयाबीन का भारत में 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। यह भारत में खरीफ की फसल है। भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में उत्पादित होती है।
मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 प्रतिशत जबकि महाराष्ट्र का 40 प्रतिशत हिस्सा है। इसके अलावा बिहार में किसान इसकी खेती कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर में सोयाबीन रिसर्च सेंटर है। सोयाबीन से तेल निकाला जाता है।
इसके अलावा सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती हैं। सोयाबीन में प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स, थाइमीन, राइबोफ्लेविन अमीनो अम्ल, सैपोनिन, साइटोस्टेरॉल, फेनोलिक एसिड और अन्य कई पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें आयरन होता है जो एनिमिया को दूर करता है।