Betul Ki Khabar: भैंसदेही ग्राम मालेगांव में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण के 6 वें दिन सोमवार को श्रीकृष्ण- रूक्मिणी विवाह उत्सव मनाया गया। कथा वाचक पंडित गोविंद जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा जाता है। श्रीमद् भागवत का अर्थ होता है जो श्री अर्थात चैतन्य, सौंदर्य व ऐश्वर्य से युक्त है। ये वो वाणी है, वो कथा है जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है और जीवन को सुन्दर बनाती है। उन्होने बताया कि श्रीमदभागवत महापुराण ऐसी कथा अमृत है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसीलिए परीक्षित ने स्वर्गामृत के बजाय कथामृत की ही मांग की। क्योंकि इस कथामृत का पान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ पर विराजमान पंडित गोविंद जी महाराज ने उन्होंने कहा कि महारास का अर्थ जीव से जीव का मिलन नहीं अपितु ब्रह्म से जीव के मिलन को महारास कहा गया है। संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में सजी रुक्मिणी विवाह उत्सव की झांकी और भाव विभोर होकर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। कल मंगलवार विशाल भंडारे के साथ कथा संपन्न होगी। आयोजक श्री एम डी वाघमारे जी एवं श्रीमति राजबाला वाघमारे जी ने कथा श्रवण कर प्रसादी लाभ लेने का आग्रह किया है।
Betul Ki Khabar: ब्रह्म से जीव का मिलन ही महारसः पं. गोविंद महाराज
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