बच्चों में जन्मजात क्लब फुट विकृति पर आज बैतूल में आयोजित शिविर में 38 बच्चों की जांच की गई। इनमें से 12 बच्चों का चयन सर्जरी के लिए किया गया है। जबकि कुछ को कास्टिंग और फिजियोथैरेपी दी गई है। इन बच्चों के पैर के अंगूठे जन्म से ही मुड़े हुए हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रविकांत उइके ने बताया कि आज गुरुवार को क्लब फुट विकृति माह के अंतर्गत डीआईसी जिला अस्पताल बैतूल में जागरूकता एवं उपचार शिविर का आयोजन किया गया।
जिसमें क्लब फुट से ग्रसित 38 बच्चों की जांच की गई। शिविर में 9 बच्चों की कास्टिंग, 12 बच्चों का चयन सर्जरी के लिए, 7 बच्चों की फिजियोथैरेपी की गई। जबकि 13 बच्चों को जूते प्रदान किए गए हैं। शिविर का आयोजन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया। जिसमें डॉ. जगदीश घोरे शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. रूपेश पद्माकर अस्थि रोग विशेषज्ञ, डॉ. शैलेन्द्र तावड़े फिजियोथेरेपिस्ट, अचल एजेकिप पाढर अस्पताल, राज्य स्तर से कविता मालवीय अनुष्का फाउंडेशन बैतूल, अनिअम्मा क्योर इंटरनेशनल डेवलपमेंट पार्टनर, आरबीएसके मैनेजर योगेन्द्र कुमार दवंडे, आरबीएसके डॉक्टर एवं डीआईसी स्टाफ मौजूद रहा।
आरएनएसके मैनेजर योगेन्द्र दवंडे ने बताया कि इन बच्चों में जन्मजात क्लब फुट विकृति है। इनका चयन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य टीम के माध्यम से आंगनबाड़ी, स्कूल, प्रसव केन्द्रों में सर्वे के बाद किया गया। इसे जिले भर में अभियान के रूप में चलाया गया। इसमें जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया गया।
आमतौर पर एक हजार बच्चों में से एक या दो बच्चे ऐसी विकृति के साथ पैदा होते हैं। इससे बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के बाद नियमित जांच, पौष्टिक आहार, समय पर दवाइयां लेनी चाहिए। आज शिविर में चयनित सर्जरी योग्य बच्चों का जिला अस्पताल एवं पाढर अस्पताल में ऑपरेशन किया जाएगा।