जब से OpenAI का ChatGPT मार्केट में आया है, तब से AI हर दिन और एडवांस होता जा रहा है। कई बड़ी कंपनियां जैसे Google और Apple भी अपने AI चैटबॉट्स लॉन्च कर चुकी हैं, जो घंटों का काम मिनटों में कर देते हैं। लेकिन हाल ही में स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा AI टूल विकसित किया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। असल में, इस AI टूल से यह पता लगाया जा सकता है कि आपने हाल ही में कौन-कौन सी जगहें घूमी हैं। और सबसे खास बात यह है कि इसके लिए GPS की जरूरत नहीं पड़ती।
GPS की जगह माइक्रोबायोम
यह नई तकनीक, जिसका विवरण Genome Biology and Evolution जर्नल में प्रकाशित हुआ है, किसी व्यक्ति के हाल के लोकेशन को जानने में सक्षम है। जैसे कि वह समुद्र किनारे, रेलवे स्टेशन या पार्क में गया था या नहीं। यह टूल किसी भी GPS का उपयोग नहीं करता, बल्कि माइक्रोऑर्गेनिज्म के फिंगरप्रिंट्स का इस्तेमाल करता है। अलग-अलग जगहों पर पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों की विविधता के आधार पर यह पता लगाया जाता है कि कोई व्यक्ति हाल ही में कहां गया था। यह तकनीक फॉरेंसिक्स और महामारी विज्ञान जैसे क्षेत्रों में काफी मददगार साबित हो सकती है।
कैसे काम करता है यह AI टूल?
वैज्ञानिकों का कहना है कि बैक्टीरिया, फंगस और शैवाल जैसे सूक्ष्मजीव हर जगह अलग-अलग प्रकार के होते हैं। हर स्थान पर एक खास प्रकार का माइक्रोबायोम पाया जाता है। जब कोई व्यक्ति किसी स्थान पर जाता है, तो वहां के सूक्ष्मजीव उसके शरीर या कपड़ों पर चिपक जाते हैं। इस AI टूल के जरिए इन्हीं सूक्ष्मजीवों का विश्लेषण किया जाता है और यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति ने हाल ही में कौन सी जगहें देखी हैं। मतलब, अगर आपने कल रात किसी पार्क में सैर की थी तो यह AI टूल आपकी सीक्रेट जानकारी को उजागर कर सकता है।
AI टूल को कैसे विकसित किया गया?
इस AI टूल को बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने दुनिया भर से माइक्रोऑर्गेनिज्म के डेटा का उपयोग किया। इसमें 53 शहरों के शहरी क्षेत्रों से एकत्रित सूक्ष्मजीव, 18 देशों की 237 मिट्टी के सैंपल और 9 अलग-अलग समुद्री स्थानों से 131 समुद्री माइक्रोबायोम के सैंपल शामिल हैं। इन सूक्ष्मजीवों का अध्ययन कर AI ने विभिन्न स्थानों के विशेष माइक्रोबायोम को पहचानना सीखा है। शोधकर्ता एरान इल्हाइक के अनुसार, इस मॉडल का फायदा यह है कि यह मानव शरीर पर सूक्ष्मजीवों की बदलती संरचना को पहचान सकता है। इतना ही नहीं, यह बीमारियों के फैलाव और संक्रमण के स्रोत का भी पता लगा सकता है।
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कितनी सटीक है यह AI तकनीक?
इस AI टूल की सटीकता पर शोध जारी है, लेकिन शुरुआती परिणामों से पता चलता है कि यह तकनीक काफी सटीक और प्रभावी है। यह फॉरेंसिक मामलों में और भी ज्यादा मददगार साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आगे चलकर यह तकनीक दुनिया भर में कई तरह के क्षेत्रों में उपयोग की जा सकती है।