पहला सिविल वाद हुआ आन लाइन पंजीयन
Betul Ki Khabar :- 30 नवंबर 2024 को प्रधान जिला एवं सेशन न्यायाधीश की उपस्थिति में आमला न्यायालय में ई सेवा केंद्र का शुभआरंभ हुआ था उसके बाद से ही लगातार यह प्रयास किया जा रहा था कि अब घर बैठे आसानी से ई-फाइलिंग के माध्यम से दीवानी व फौजदारी व अन्य प्रकरण की सुनवाई की जा सके इसके पूर्व कोविड कॉल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई होती थी उसमें भी न्यायालय में रिमोट पॉइंट वीसी रूम में जाना आवश्यक होता था l ई सेवा नई तकनीक के माध्यम से आमला न्यायालय में पहला दीवानी केस युवा अधिवक्ता शिवम राजेंद्र उपाध्याय ने 24 जनवरी 2025 को कोई रात में लगभग 11:00 बजे फाइल किया इसके लिए उन्हें केस एवं दस्तावेज की समस्त फाइल पीडीएफ के माध्यम से ऑनलाइन हाई कोर्ट जबलपुर की वेबसाइट पर ई फाइलिंग के माध्यम से अधिवक्ता और पक्षकार अपना पंजीयन कर सकते हैं l
ई सेवा केंद्र कनिष्ठ खंड व्यवहार न्यायाधीश आमला के न्यायालय में संप्रेषित करनी पड़ी क्योंकि वर्तमान में सिविल केस का पंजीयन कनिष्ठ खंड व्यवहार न्यायालय आमला के न्यायालय में होता है l न्यायाधीश द्वारा केस की प्रारंभिक जांच के निर्देश प्रदान किया l इसके उपरांत यह जानकारी प्राप्त हुई कि केस का पंजीयन हो गया है और प्रतिवादी पक्ष को सूचना पत्र जारी करने के आदेश प्रदान किए गए बेल एप्लीकेशन लगाना हो तो वह भी ई कोर्ट के माध्यम से हो जाएगा या अन्य कार्य या कोई भी जरूरी सुनवाई होनी है तो ई सेवा के माध्यम से की जा सकती है साथ ही न्यायालय से अनुमति लेकर यदि ईमेल एड्रेस और व्हाट्सएप नंबर हो तो सूचना पत्र भी ई सेवा के माध्यम से संप्रेषित किया जा सकते हैं इसके अतिरिक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी प्रतिदिन सुनवाई होती है l
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जिसमें भारत देश के विभिन्न स्थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आमला न्यायालय में गवाही और सुनवाई होती है वकील राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक आमला में पद रिक्त होने के कारण इसका प्रभार प्रथम वरिष्ठ खंड न्यायाधीश मुलताई के न्यायालय में होता है l किंतु वे भी अवकाश पर होने के कारण ई सेवा के माध्यम से बैतूल के द्वितीय प्रथम वरिष्ठ खंड न्यायाधीश के न्यायालय में सुनवाई आसानी से हो सकी यह सभी कार्य आमला न्यायालय से ही सागर बाघ सिस्टम ऑफिसर और ई सेवा केंद्र प्रभारी शुभम न्यायालय कर्मचारी के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ई कोर्ट। के माध्यम से आसानी से ही हो जाता हैं नई तकनीक से केस का अतिशीघ्र निराकरण हो रहा है समय व धन की भी बचत होती हैं और पक्षकारों को न्याय प्राप्त करने में आसानी हो जाती है l