BETUL NEWS :- आमला भाजपा संगठन चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हुई।मंडल अध्यक्ष के लिए 45 साल की उम्र का बन्धन आने से कई उमरद्राज नेताओं के अरमानों पर पानी फिर गया है वहीं नई तरह की राजनीति आने से कुछ ऐसे चेहरे जो लोगो के लिए आश्चर्य का विषय हो सकते है।जिसमें एक खास फरमान है जो राष्ट्रीय संगठन से आया है उसमे मंत्री,विधायक के खास लोगो को दूर रखने के आदेश दिए है।ऐसे में आमला संगठन की राजनीति में एक बड़े उलट फेर की मानो तैयारी हो रहीं है।इस तरह के माप दंडो में कुछ ऐसे लोगो को लाया जा रहा है जो स्वभाव से तेज तर्रार और जुझारू एवं नेतृत्व करने की क्षमता रखते है।जिसके लिए अब एक नाम चर्चा का विषय बना हुआ है जो है पूर्व पार्षद राकेश धामोडे जिनके लिए किसी व्यक्ति को परिचय की आवश्यकता नहीं है चाहे उनका राजनीतिक स्वभाव हो या व्यक्तिगत या फिर नेतृत्व क्षमता इसमें हर जगह मापदंड के आधार पर सही बैठते है।
जातिगत आधार में भी मजबूत
अगर भाजपा ओबीसी चेहरे की खोज करती है तो ओबीसी से आते है और ढोलेवार कुनबी समाज से ऊर्जावान चेहरे मिला सकता है।जबकि उम्र का बन्धन अगर नहीं होता तो रामपाल मोड़क भी इस दौड़ में सबसे आगे थे,लेकिन अब 45 वर्ष से नीचे में कुनबी समाज से धामोडे ही एक विकल्प है और उनके लिए समाज भी एक राय दे सकता है पूर्व में समाज के मीडिया प्रभारी के पद पर भी आसीन रहे।अगर इस समाज के आधार पर भी मौका मिले तो इस नाम पर भाजपा संगठन नाम तय कर सकता है।
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राजनीतिक कार्यकाल में भी महारथ हासिल
नगरीय चुनाव में बगैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के 2015 में पार्षद का टिकट मिला और एक तरफा जीत दर्ज की।इस जीत के पहले वार्ड 8 में कभी भाजपा के झंडे पकड़ने के लिए लोग नहीं मिला करते थे।भाजपा के उम्मीदवार यहां जैसे तैसे चुनाव में उतार दिए जाते थे।लेकिन राकेश को टिकट मिलने के बाद कांग्रेस के जमे जकडे लोगो को मैदान छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और चुनाव मै एक तरफा जीत दर्ज की।सत्ता मै आने से आमजनता की लड़ाई के लिए वार्ड सहित पूरे नगर की सुविधा के लिए पुलिस विभाग द्वारा अतिक्रमण की जगह को मुक्त करने के लिए हड़ताल की जिसके बाद विभाग को वह जगह छोड़ना पड़ा और अब आमजनता की सुविधा के लिए वह जगह इस्तेमाल है रही है।इसके परिणाम स्वरूप उन्हे 2022 में निकाय चुनाव में वार्ड से महिला सीट होने पर उनकी धर्मपत्नी ममता धामोडे पर भाजपा ने फिर भरोसा जताया।जिसके परिणाम स्वरूप पूरे 18 वार्डो में सबसे अधिक 379 वोटो के अंतर से चुनाव जीत कर आए।इससे उनका लोगो मै जनाधार भी अधिक बड़ा लोगो का उनपर अटूट विश्वास बना।नेताओं के आंखो में उभरते चेहरे के रूप मै आने से भाजपा ने नगर मंडल उपाध्यक्ष बनाया गया।वहीं अगर भाजपा की पुरानी टीम की बात करे तो सुगबुगाहट ऐसी है कि अगर संगठन में सत्ता का हस्तक्षेप नहीं हुआ तो भाजपा के वरिष्ठजन धामोडे के लिए एका कर सकते है और भीतर है भीतर उनके लिए लॉबिंग की तैयारी भी शुरू कर दी गई है।अब देखना है अगर वरिष्ठ नेताओं से पूछ परख की गई तो ये निश्चित है कि केवल धामोडे का एक नाम सहमति से फाइनल हो सकता है।भाजपा हमेशा अपने निर्णय आश्चर्यचकित देने में विश्वास रखती है।अब देखना है इस जिम्मेदार पद किस दृष्टिकोण से भाजपा किसे देती है।