कन्यादान महोत्सव सबसे बड़ा पुण्य का काम : पंडित अविनाश खंडाग्रे

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भैंसदेही (मनीष राठौर) :- भैंसदेही कन्यादान महोत्सव सबसे पुण्य का काम है। जो लोग लाखों रूपये खर्च नहीं लगा सकते है, ऐसे लोग कन्यादान महोत्सव से विवाह करते है। जिसका हमे साक्षी बनने का मौका मिलता है। यह सबसे बड़ा पुण्य है। यह बाते पंडित अविनाश खंडाग्रे ने आज श्रीमद भागवत कथा में श्रद्धालुओं को बताई। उन्होंने कहा कि जो फल कैरी आज हम खाते है तो वह खट्टी लगती है, लेकिन जब यहीं फल पक जायेगा तो मीठा हो जायेगा। बता दे कि निपान्या ग्राम में संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी शुरूआत सोमवार को कलश यात्रा निकालकर की गई। गाजेबाजे के साथ कलश यात्रा आयोजन स्थल से प्रारंभ हुई, जो ग्राम के मुख्य मार्गो से होकर निकाली गई। आयोजक कनाठे परिवार ने बताया कि संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह के अंतर्गत प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक कथा वाचक पंडित अविनाश खंडाग्रे द्वारा श्रद्धालुओं को कथा सुनाई जा रही है। सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह का समापन 6 अप्रैल को हवन-पूजन एवं महाप्रसादी वितरण से होगा। सुरेन्द्र कनाठे ने सभी श्रद्धालुओं से कार्यक्रम में उपस्थित होकर पुण्यलाभ लेने की अपील की है।

शिव-पार्वती विवाह नांचे झुमे बाराती, बनाई झांकी

कथा के दौरान शिव पार्वती विवाह मे जमकर नाचे बाराती। पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया और कहा, हे पार्वती, तुम्हारी तपस्या से मैं प्रसन्न हुआ हूं। तुम्हें मैं अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूं। इसके बाद भगवान शिव और पार्वती जी का विवाह हिमालय के घर में हुआ। इस विवाह में सभी देवताओं ने भाग लिया और भगवान शिव और पार्वती जी को आशीर्वाद दिया। इस विवाह के बाद, भगवान शिव और पार्वती जी ने कैलाश पर्वत पर निवास किया और उन्होंने अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाया। इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची भक्ति और तपस्या से हम अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

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