MP NEWS :- मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक बार फिर चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यहां के न्यूरो सर्जरी विभाग ने बच्ची बासलका की जटिल सर्जरी कर उसे एक नई जिंदगी दी।
मध्यप्रदेश के अशोकनगर निवासी तीन साल की बालिका का था जिसकी गर्दन के पिछले हिस्से में जन्म से ही एक मांसल उभार था. एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती करने के बाद उसकी MRI और सी.टी. स्कैन किए गए तो पता चला कि उसकी खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी से एक अधूरे शरीर का पैर और श्रोणि हड्डियां (Pelvic Bones) जुड़ी हुई थीं, जो दिमाग के बेहद नाज़ुक हिस्से ब्रेन स्टेम से चिपकी हुई थीं.
परजीवी जुड़वां बच्चा
परजीवी जुड़वां एक दुर्लभ स्थिति होती है, जब गर्भ में दो जुड़वां बच्चे बनने लगते हैं, लेकिन उनमें से एक का विकास बीच में रुक जाता है. यह अधूरा जुड़वां बच्चा अपने पूरी तरह विकसित हो रहे जुड़वां से चिपका रहता है. इस अधूरे जुड़वां को ही परजीवी जुड़वां कहा जाता है, क्योंकि वह खुद से नहीं जी सकता और अपने जुड़वां पर निर्भर रहता है.
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डॉक्टरों की हाई लेवल टीम ने तय किया सर्जरी करना
मामले की जटिलता को देखते हुए डॉ. राधा गुप्ता एवं डॉ. अंकुर (रेडियोलोजी विभाग), डॉ. रियाज़ अहमद (बाल शल्य चिकित्सा विभाग) और डॉ. वेद प्रकाश (प्लास्टिक सर्जरी विभाग) के साथ काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया कि बालिका को सामान्य जीवन देने के लिए जल्द सर्जरी की जाए.
इसके बाद 3 अप्रैल 2025 को यह दुर्लभ सर्जरी डॉ. सुमित राज द्वारा सफलतापूर्वक की गई, जिसमें डॉ. जितेन्द्र शाक्य और डॉ. अभिषेक ने सहायक की भूमिका निभाई. फ़िलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और स्वास्थ लाभ ले रही है.