Char Dham Yatra 2025: हिंदू धर्म में चारधाम की यात्रा का बहुत महत्व माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, चारों धाम की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी कारण हिंदू धर्म से जुड़ा हर एक व्यक्ति कभी न कभी चारधाम की यात्रा पर जाना चाहता है.
चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री उत्तराखंड में स्थित हैं. हिंदू धर्म में दो तरह की चार धामयात्रा की जाती है. एक बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा और दूसरी बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर और द्वारका धाम की यात्रा. ये चारों धाम इतने पवित्र हैं कि इनके बारे में मान्यता है कि इन धाम के दर्शन करने से व्यक्ति को समस्त पापों से छुटकारा मिल सकता है और अंत समय में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
चारधाम यात्रा क्या है
चारधाम यात्रा सिर्फ एक धार्मिक सफर नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का रास्ता भी है। मान्यता है कि इन चार तीर्थों की यात्रा करने से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यह यात्रा घड़ी की सुई की दिशा में शुरू होती है, यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ पर समाप्त होती है।
चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व ?
हिन्दू धर्म में चारधाम यात्रा का बड़ा ही धार्मिक महत्व माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, चारधाम की यात्रा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है. ऐसे व्यक्ति को दोबारा मृत्यु लोक में जन्म नहीं लेना पड़ता, वो मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. शिव पुराण के अनुसार, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन के बाद जो भी व्यक्ति जल ग्रहण करता है उसका दोबारा पृथ्वी पर जन्म नहीं होता.
चारधाम यात्रा से जुड़ा शारीरिक महत्व
चारों धाम की यात्रा में व्यक्ति को बहुत लंबे समय तक पैदल चलना पड़ता है. इससे व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और आयु में वृद्धि होती है. इसलिए शास्त्रों में भी कहा गया है कि जो लोग चार धाम की यात्रा करते हैं, उन्हें आरोग्यता एवं लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वें अपने पूरे जीवन में कई तरह की शारीरिक समस्याओं से दूर रहते है.
जीवन में चारधाम यात्रा क्यों जरूरी है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में चारधाम की यात्रा कर लेता है, तो उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। खासकर, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और वहां का जल ग्रहण करने के बाद पुनर्जन्म का बंधन टूटने की बात कही जाती है। इसलिए कहा जाता है कि जीते जी चारधाम यात्रा जरूर करनी चाहिए।