Betul News: निजी स्कूलों की मनमानी शुरू, एक ही दुकान से मिल रही महंगी किताबें, विभाग बना लापरवाह कलेक्टर से हुई शिकायत

By betultalk.com

Published on:

Follow Us

Betul News: 18 जुलाई से शैक्षिक सत्र शुरु होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी भी शुरु हो गई थी। शासन ने फीस न बढ़ाने का निर्देश जारी किया था, लेकिन स्कूलों ने अपनी सुविधा फीस के नुकसान की भरपाई के लिए मनमानी कर रहे है। 20 से 30 पेज की प्रथम, केजी कक्षा की किताबों पर 149 से 230 रुपए तक रेट अंकित है। ये किताबें उसी जगह मिलेंगी, जिसका पता स्कूल बताता है।नर्सरी की नई किताबें तो ऐसी है, जिनमें एक पेज पर केवल ‘ए फॉर एपल’ ही लिखा है। सरकार भले ही नई शिक्षा नीति से तमाम परिवर्तन का ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन इन स्कूलों की निगरानी का कोई तंत्र नहीं है। कक्षा 1 से 8 तक की मान्यता होने के बावजूद यहां पर अवैध रुप से नर्सरी, एलकेजी व यूकेजी की कक्षाएं संचालित होतीं हैं। इनके जरिए भी इन स्कूलों की बड़ी कमाई होती है। ज्यादातर जगहों पर अभिभावकों को किताबें स्कूल के अंदर से या मनचाही दुकानों पर उपलब्ध कराई जा रही है, अब किताबें बेचने के तरीकों में थोड़ा बदलाव किया गया है। अब यह किताबें मिलने का स्थान स्कूल प्रबंधक खुद बता रहा है। अभिभावक जब बच्चो को दाखिला दिलाने आते है तो ठिकाने की जानकारी दे दी जाती है। ये काम ज्यादातर उन स्कूलों में हो रहा है, जिनके पास सीबीएससी की मान्यता है। नगर के संजय बचले ने लाइफ कैरियर स्कूल की शिकायत कलेक्टर से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की है।संजय ने बताया कि सभी स्कूलों की जाच की जाना चाहिए।

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी अभिभावकों को हो रही परेशानी………………

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी तो यह है कि यह हर वर्ष नए सिलेबस की किताबें लगा रहे है। ऐसे में अगर किसी का बच्चा दूसरी कक्षा में पढ़ता है तो पहली कक्षा वाले बच्चे के काम यह किताबें नही आएंगी। वहीं एक जुलाई से स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है। स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया भी जोरों पर चल रही है।परन्तु अभी तक शिक्षा विभाग ने किसी भी निजी स्कूल पर कार्रवाई नहीं की है। जबकि अधिकारियों को केवल स्कूल में जाकर छापेमारी करनी है, उन्हें किताबों के ढेर मिल जाएंगे। वहीं स्कूलों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता के कोई मानक तय नहीं है। यहां कम शैक्षिक योग्यता वाले अप्रशिक्षित युवक-युवतियों को शिक्षण कार्य में लगाया जाता है। इससे इस तरह के शिक्षकों को कम वेतन देकर अधिक मुनाफा कमा लेते हैं। इस कारण इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।

किताबो में चल रहा कमीशन का खेल…………………..

कार्रवाई के नाम पर शिक्षा विभाग फेल स्कूल खुलते ही शिक्षा माफियाओं ने बच्चो के परिजनों की जेबों पर डाका डालना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों द्वारा उनके मनचाहे प्रकाशकों की कापी किताबें लेने के लिए परिजनों पर दबाव बनाया जा रहा है। इनमें शहर के अधिकांश स्कूल शामिल है।जिन स्कूलों में बच्चो को एनसीईआरटी की किताबें लगानी चाहिए, वे निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ने को मजबूर कर रहे है। क्योंकि प्रकाशकों की और से स्कूलों को मोटा कमीशन दिया जा रहा है। यह कमीशन 30 से 50 फीसदी है। किताबें कौन से प्रकाशक की लगेगी यह भी कमीशन पर निर्भर है।

अभिभावक बोले- स्कूल संचालक खुद ही चला रहे
अपना सिलेब्स………………..

अभिभावकों का कहना है कि बड़ी संख्या में स्कूलों ने मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल से कक्षा 8 तक की मान्यता ले रखी है। इसमें हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम दोनों की मान्यता है। मान्यता के साथ ही परिषद की ओर से पाठ्यक्रम और पुस्तकें भी निर्धारित हैं, लेकिन स्कूल संचालक खुद अपना सिलेब्स तय करके अपनी सुविधा के अनुसार प्रकाशकों से पुस्तकें छपवाकर उनकी मनमानी कीमत निर्धारित करके उससे बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं।

इनका कहना है…………………..

कलेक्टर साहब ने शिकायत को मार्क कर मेरे पास भेजा है जांच की जा रही है जांच के बाद ही आपको विस्तार से जानकारी दे पाएंगे।

Leave a Comment