Betul News: शहर में दो दर्जन से अधिक कोचिंग सेंटर संचालित है। इनमें से अधिकांश कोचिंग सेंटरों का पंजीयन तक नहीं है। काफी समय से यह कोचिंग सेंटर बिना पंजीयन संचालित हो रहे हैं। छोटे-छोटे कमरों में चलने वाले इन कोचिंग में सुरक्षा संबंधी इंतजाम भी नहीं हैं। पार्किंग की व्यवस्था न होने से विद्यार्थी अपने वाहन सडक़ों पर ही खड़े करते हैं। जिससे बार-बार ट्रॉफिक जाम सहित अन्य समस्याएं होती है। बावजूद विभागीय अफसरों की अनदेखी के कारण अवैध कोचिंग सेंटरों का धंधा खूब बढ़ रहा है। कोचिंग सेंटरों के संचालन के लिए शासन ने मानक तय किए हुए हैं। इसमें उनका पंजीयन होना भी जरूरी है। कोचिंग सेंटरों में अग्निशमन विभाग से एनओसी, कोचिंग सेंटर पर अग्निशमन यंत्र, कुशल शिक्षक, बैठने की उचित व्यवस्था, शौचालय, पीने का पानी, बिजली, पंखा, लाइट, पार्किंग स्थल, फीस निर्धारण और उचित साफ-सफाई होना मानकों में शामिल है। लेकिन आमला शहर में संचालित कोचिंग सेंटर का निरीक्षण किया जाये तो इनमें से कई मानक कोचिंग सेंटरों में उपलब्ध नहीं है। इसके बाद भी जांच के लिए न तो शिक्षा विभाग के पास फुर्सत है और न ही प्रशासन के पास। लिहाजा गली-मोहल्लों में कोचिंग संचालित हो रहे है। इस संबंध में जब ब्लाक शिक्षा अधिकारी धनराज सूर्यवंशी से उनके मोबाइल पर चर्चा करनी तो उन्होंने फोन रिसीव नही किया।
सुबह और रात तक चलते है कोचिंग सेंटर ………
शहर में सुबह 5 बजे से कोचिंग सेंटरों का समय शुरू हो जाता है, जो देर रात तक चलता है। सुबह सुबह के अंधेरे में बच्चे कोचिंग जाते है। जिसमें लड़कियां भी शामिल होती है। काफी कोचिंग सेंटर सुबह 5 बजे से ही कोचिंग देना शुरू कर देते है। जिसके कारण छात्र-छात्राओं को सुबह सुबह अंधेरे में ही कोचिंग जाना होता है। पढ़ाई को लेकर सजग बच्चे अपनी परवाह किये बिना अंधेरे में कोचिंग जाने को मजबूर होते है। पढ़ाई के कारण इसका विरोध भी नही कर पाते है। कोचिंग के अजीब समय के चलते छात्र-छात्राओं को 2-4 किमी दूर इत्यादि से आना-जाना होता है, जो उनके लिए जोखिम भरा होता है और कोई भी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। लड़कियां इस बात का डर लेकर फिर भी कोचिंग जाती है।
कोचिंग सेंटरों का पंजीयन अनिवार्य ………
केंद्र सरकार द्वारा निजी कोचिंग सेंटर के लिए गाइडलाइंस तय की गई है। जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों की नो एंट्री दी गई है। इसके अलावा सभी कोचिंग सेंटर का पंजीयन भी अनिवार्य कर दिया गया है। पर यह नियम और गाइडलाइन शहर में लागू होती नजर नही आ रही है। हाईस्कूल, इंटर के बाद अधिकांश छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुट जाते हैं। इसमें मेडिकल,, बैंक, रेलवे, आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। बच्चों का भविष्य संवारने के लिए अभिभावक अपने बच्चों को कोचिंग संस्थानों में भेजते हैं, ताकि उनके बच्चों का भविष्य संवर सके, किन्तु कोचिंग संचालकों द्वारा बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई व्यापक इंतजाम तक नहीं किये है।
शासकीय शिक्षक भी पढ़ा रहे कोचिंग …..
निजी कोचिंग सेंटरों के अलावा शासकीय स्कूलों में बतौर शिक्षक के रूप में पदस्थ शिक्षक भी अपने-अपने आवास या किराये के कमरे लेकर कोचिंग पढ़ा रहे है। जो कि पूर्णत: नियमों के विरूद्ध है। कुछ विद्यार्थियों ने यह भी आरोप लगाया कि जो बच्चे स्कूल के शिक्षक के पास कोचिंग पढ़ते है, शिक्षक कक्षा में उन बच्चों पर विशेष ध्यान देते है। इसके अलावा अन्य बच्चों पर भी कोचिंग आने के लिए दबाव बनाया जाता है। शासकीय शिक्षकों द्वारा कोचिंग पढ़ाने और कोचिंग में पढऩे वाले बच्चों पर विशेष ध्यान देने से अन्य बच्चों में हीन भावनाएं उत्पन्न होती है।
इनका कहना है –
शहर में कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाही ब्लाक शिक्षा अधिकारी ही करेगे। आप उनसे चर्चा कीजिए।
- मनीष घोटे, बीआरसी अधिकारी, आमला